Money Mule Transactions: बैंक ब्लॉक कर सकता है आपका अकाउंट, आपकी इन गलतियों की वजह से हो सकता है ऐसा
Money Mule Transactions Bank Account से हम कितने भी रुपये के ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। आज के समय में 5 रुपये के लेनदेन के लिए भी हम UPI के जरिये ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। बैंक हमारे हर ट्रांजैक्शन पर नजर रखता है। अगर किसी अकाउंट से कोई गलत ट्रांजैक्शन या Money Mule होता है तो बैंक के पास अधिकार है कि वह अकाउंट को ब्लॉक करें।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में 5 रुपये के सामान के लिए भी हम यूपीआई (UPI) के जरिये लेनदेन करते हैं। ऐसे में हम भूल जाते हैं कि यूपीआई बैंक से लिंक है यानी हर पेमेंट करने पर ट्रांजैक्शन कैलकुलेट होता है। अगर हम बैंक से ज्यादा ट्रांजैक्शन करते हैं तो हम बैंक के नजर में आ जाते हैं। ऐसे में कई बार बैंक हमारे अकाउंट को ब्लॉक भी कर देता है। हालांकि, इसके पीछे मुख्य वजह भी रहती है।
बता दें कि बैंक के पास अधिकार होता है कि वह अकाउंट को ब्लॉक कर दे। बैंक को ब्लॉक करने के तुरंत बाद इसकी सूचना अकाउंट होल्डर को देनी होती है और बताना होता है कि अकाउंट किस कारण से ब्लॉक किया जा रहा है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर बैंक किन वजह से अकाउंट को ब्लॉक करता है।
'मनी म्यूल' है मुख्य वजह
बैंक अकाउंट से हो रहे हर ट्रांजैक्शन पर नजर बनाए रखता है। अगर बैंक को किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी लगती है तो वह सतर्क हो जाता है और उचित कदम उठाता है। ऐसे में बैंक 'मनी म्यूल' (Money Mule Transactions) जैसे धोखाधड़ी को रोकने के लिए यह फैसला ले रहा है।अगर किसी अकाउंट में 'मनी म्यूल' होता है तो बैंक को जैसे ही इसके बारे में पता चलता है बैंक अकाउंट को ब्लॉक कर देता है। दरअसल, जब किसी बैंक अकाउंट में कोई अवैध रूप से अर्जित धन डिपॉजिट होता है या फिर ट्रांसफर होता है तो इसे 'मनी म्यूल' कहते हैं।कई बार धोखेबाज अकाउंट होल्डर को कुछ लालच देते हैं और फिर उनके अकाउंट से गलत ट्रांजैक्शन करते हैं या फिर अवैध राशि ट्रांसफर करते हैं। इस तरह के अवैध कार्य पर नकेल कसने के लिए ही बैंक खाता को ब्लॉक करता है।
हाल ही में एक रिपोर्ट से पता चला है कि 'मनी म्यूल' बढ़ रही है। सभी अपराधों में 'मनी म्यूल' की हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी हो गई है। 'मनी म्यूल' के मामले केवल भारत में ही नहीं वैश्विक स्तर पर भी हैं। इस तरह के फ्रॉड को रोकने के लिए सिंगापुर और यूके जैसे देशों ने डेटा-शेयरिंग प्लेटफॉर्म शुरू किया है।यह भी पढ़ें: अपने बच्चों को विदेश पढ़ाना चाहते हैं ज्यादातर भारतीय, पर यहां खा रहे मात