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आधे से अधिक भारतीय परिवारों को भाने लगा है सॉफ्ट ड्रिंक, पिछले साल से 50 प्रतिशत से अधिक खपत

नई रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि पिछले दो सालों में बोतलबंद साफ्ट ड्रिक्स की खपत में 250 मिलीलीटर की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है। अब उपभोक्ता आनलाइन या आफलाइन चैनलों से साल में 156 बार या हर 56 घंटे में एक बार एफएमसीजी उत्पाद खरीदते हैं। आइये इसके बारे में जानते है।

By Agency Edited By: Ankita Pandey Updated: Fri, 21 Jun 2024 06:37 PM (IST)
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सॉफ्ट डिंक की मांग में तेजी, भारतीयों को पसंद आ रही बोतलबंद ड्रिंक

पीटीआई, नई दिल्ली। पिछले दो साल में औसत भारतीय परिवारों के बीच बोतलबंद साफ्ट ड्रिंक की खपत बढ़ी है और बीते वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है। कांतार एफएमसीजी पल्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार गर्मी बढ़ने के साथ इस रुझान में और बढ़ोतरी होने की संभावना है।

रिपोर्ट के मुताबिक औसत परिवार में पिछले दो वर्षों में बोतलबंद साफ्ट ड्रिक्स की खपत में 250 मिलीलीटर की वृद्धि हुई है। इसके अलावा 'फैब्रिक साफ्टनर' अब देश के हर चार घरों में से एक तक पहुंच गया है। इसे अभी भी प्रीमियम धुलाई उत्पाद माना जाता है।

लिक्विड डिटर्जेंट की बढ़ी मांग

दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों के एक अन्य प्रीमियम धुलाई उत्पाद (लिक्विड डिटर्जेंट) ने वित्त वर्ष 2023-24 में एक लाख टन के आंकड़े को पार कर लिया। अब उपभोक्ता आनलाइन या आफलाइन चैनलों से साल में 156 बार या हर 56 घंटे में एक बार एफएमसीजी उत्पाद खरीदते हैं। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि औसत खरीद मूल्य में कमी आई है, क्योंकि ग्राहक अब पहले की तरह बड़ी खरीदारी नहीं कर रहे हैं।

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ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ी FMCG की बिक्री 

रोजमर्रा उपयोग की घरेलू वस्तुओं (एफएमसीजी) की बिक्री की वृद्धि के लिए ग्रामीण भारत एक 'चमकता सितारा' बना हुआ है। 2024 की दूसरी तिमाही में शहरी क्षेत्रों की तुलना में इस क्षेत्र में विस्तार की बेहतर गति रहने की उम्मीद है। आंकड़ा एवं परामर्श कंपनी कंतार की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत 2024 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में एफएमसीजी कंपनियों के लिए शहरी बाजारों की तुलना में 'बेहतर वृद्धि स्तर' बनाए रखेगा।

रिपोर्ट के अनुसार, 'हमें यह ध्यान में रखना होगा कि अगले कुछ महीनों में कई राज्यों में चुनाव होने हैं और दूसरी छमाही में ग्रामीण बाजार के लिए लोकलुभावन उपायों में वृद्धि ही देखने को मिलेगी। कोरोना के बाद, ग्रामीण बाजार संकट में था और पिछली तिमाहियों में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ा था।

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