अपने बच्चों को विदेश पढ़ाना चाहते हैं ज्यादातर भारतीय, पर यहां खा रहे मात
भारत के बहुत से बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। अगले साल तक यह आंकड़ा करीब 20 लाख छात्रों तक पहुंच सकता है। लेकिन HSBC की क्वॉलिटी ऑफ लाइफ स्टडी बताती है कि ज्यादातर परिवारों के पास फाइनेंशियल प्लान नहीं है कि उनके बच्चों की विदेश में पढ़ाई का खर्चा कहां से आएगा। आइए जानते हैं कि क्या है पूरी रिपोर्ट।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देश के अधिकतर समृद्ध परिवार (Wealthy Indians) अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते हैं, या फिर पहले ही भेज चुके हैं। हालांकि, इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई माता-पिता के पास ठोस प्लान नहीं है। यह बात HSBC की स्टडी में सामने आई है। इसके मुताबिक, अधिकांश परिवार रिटायरमेंट प्लान से ज्यादा तरजीह अपने बच्चों की विदेश में पढ़ाई को देते हैं।
विदेश में पढ़ाई का बढ़ता बाजार
भारत के बहुत से बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। अगले साल तक यह आंकड़ा करीब 20 लाख छात्रों तक पहुंच सकता है। लेकिन, HSBC की 'क्वॉलिटी ऑफ लाइफ' स्टडी बताती है कि ज्यादातर परिवारों के पास फाइनेंशियल प्लान नहीं है कि उनके बच्चों की विदेश में पढ़ाई का खर्चा कहां से आएगा।
इस सर्वे के मुताबिक, सिर्फ 53 फीसदी भारतीयों के पास अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाने के लिए एजुकेशन सेविंग प्लान था। 40 फीसदी पैरेंट्स का कहना था कि उनके बच्चे स्टूडेंट लोन लेंगे। वहीं, 51 फीसदी को उम्मीद थी कि उनके बच्चे को स्कॉलरशिप मिल जाएगी। हासिल करेंगे। पैरेंट्स कोर्स, यूनिवर्सिटी आदि को लेकर भी सर्वे में चिंतित थे।
पढ़ाई के खर्च से टूट रही कमर
विदेश में पढ़ाई का खर्च लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देशों में तीन या चार साल के डिग्री प्रोग्राम की फंडिंग कॉस्ट में भारतीय पैरेंट्स की रिटायरमेंट सेविंग्स का 64 फीसदी हिस्सा खर्च हो जाता है।' यह सर्वे 1,456 भारतीय पैरेंट्स पर किया गया था। ग्लोबल स्तर पर संपन्न लोगों की प्रमुख 5 चिंताओं में लिविंग कॉस्ट में बढ़ोतरी, हाई इनफ्लेशन, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, ऊंची हेल्थकेयर कॉस्ट और कंफर्टेबल रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त बचत नहीं होना शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: US Inflation Data: अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े ने किया खेल, क्या अब शेयर बाजार में दिखेगी हलचल?