Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

मशहूर फुटबॉल क्लब Liverpool FC के खरीदारों की रेस में Mukesh Ambani, ये भी हैं दौड़ में शामिल

Mukesh Ambani लिवरपूल एफसी का मालिक फेनवे स्पोर्ट्स ग्रुप फुटबॉल क्लब को बेचने के लिए नए खरीदार की तलाश कर रहा है। द मिरर में छपी रिपोर्ट के अनुसार मुकेश अंबानी भी इस फुटबॉल क्लब को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं ।

By Abhinav ShalyaEdited By: Updated: Sun, 13 Nov 2022 04:24 PM (IST)
Hero Image
Mukesh Ambani to Liverpool FC takeover (Jagran File Photo)

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी खेल की दुनिया में अपने कारोबार को विदेशों तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। ताजा खबरों के अनुसार, अंबानी जानेमाने इंग्लिश फुटबॉल क्लब लिवरपूल एफसी को खरीदने की रेस में है। ये दावा अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में किया गया है।

लिवरपूल फुटबॉल क्लब की मौजूदा मालिकाना हक रखने वाली कंपनी फेनवे स्पोर्ट्स ग्रुप (FSG) इसे बेचना चाहती है, जिसने अक्टूबर 2010 में मर्सीसाइड क्लब खरीदा था। कंपनी ने फुटबॉल क्लब की बिक्री के लिए गोल्डमैन सैक्स और मॉर्गन स्टेनली की भी सहायता ली है।

4 बिलियन पाउंड में बेचना चाहती है FSG

समाचार एजेंसी पीटीआई ने बिट्रेन के दैनिक अखबार 'द मिरर' के हवाले से बताया कि एफएसजी लिवरपूल एफसी को 4 बिलियन डॉलर ब्रिटिश पाउंड में बेचना चाहता है। एफएसजी को लिवरपूल एफसी के लिए काफी प्रस्ताव मिल रहे हैं, लेकिन कंपनी ने पहले दिए एक बयान दिया कि हम नए शेयरधारकों पर विचार करेंगे। अगर वह क्लब के हित में होता है।

खरीदारों की रेस में ये भी शामिल

रिपोर्ट में बताया गया कि मुकेश अंबानी के अलावा खरीदारों की रेस में गल्फ और अमेरिका की कई पार्टियां शामिल हैं। एफएसजी के तहत जुर्गेन क्लोप की टीम को काफी सफलता मिली है। पिछले कुछ वर्षों में उनकी ओर से प्रीमियर लीग टाइटल, चैंपियंस लीग, एफए कप, काराबाओ कप और यूरोपीय सुपर कप जीता गया है।

मुकेश अंबानी का खेल कारोबार

अंबानी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मुंबई इंडियंस के मालिक है। इसके साथ-साथ वह फुटबॉल प्रतियोगिता इंडियन सुपर लीग आयोजित करने के अलावा अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के कमर्शियल पार्टनर भी है।

ये भी पढ़ें-

HDFC Bank, TCS समेत इन शेयरों कराया निवेशकों का फायदा, हिंदुस्तान यूनिलीवर में हुआ नुकसान

अगले हफ्ते से फिर शुरु हो सकती है ट्विटर की पेड वेरिफिकेशन सर्विस 'Twitter Blue', जानें क्यों लगाई थी रोक