मल्टी-स्टेट कंपनियों को 1 अप्रैल, 2025 तक ISD के रूप में पंजीकरण कराना जरूरी
आईटीसी के बंटवारे की व्यवस्था जीएसटी नियमों में निर्धारित है और मोटे तौर पर सामान्य आईटीसी को एक ही पैन वाली विभिन्न शाखाओं के टर्नओवर के अनुपात में विभाजित किया जाता है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अब 1 अप्रैल 2025 को बहु-राज्य शाखाओं वाली सभी कंपनियों के लिए आईएसडी के रूप में पंजीकरण करने की कट-ऑफ तिथि के रूप में अधिसूचित किया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। कई राज्यों में मौजूद और शाखा कार्यालयों के साथ सामान्य इनपुट टैक्स क्रेडिट वितरित करने वाली कंपनियों को 1 अप्रैल, 2025 तक जीएसटी अधिकारियों के साथ इनपुट सेवा वितरक (ISD) के रूप में पंजीकरण कराना होगा।
GST कानून में हुआ संशोधन
फरवरी में वित्त विधेयक 2024 के माध्यम से सरकार ने माल और सेवा कर (GST) कानून में संशोधन करते हुए कहा था कि बहु-राज्य जीएसटी पंजीकरण वाले व्यवसायों को अपनी शाखाओं के बीच प्राप्त सेवाओं के लिए किसी भी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को वितरित करने के लिए खुद को अनिवार्य रूप से आईएसडी के रूप में पंजीकृत कराना होगा।
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आईटीसी के बंटवारे की व्यवस्था जीएसटी नियमों में निर्धारित है और मोटे तौर पर सामान्य आईटीसी को एक ही पैन वाली विभिन्न शाखाओं के टर्नओवर के अनुपात में विभाजित किया जाता है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अब 1 अप्रैल, 2025 को बहु-राज्य शाखाओं वाली सभी कंपनियों के लिए आईएसडी के रूप में पंजीकरण करने की कट-ऑफ तिथि के रूप में अधिसूचित किया है।
परिचालन पारदर्शिता में होगी बढ़ोतरी
मूर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि यह कदम परिचालन पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है और करदाताओं को उचित तरीके से राज्यों में सामान्य चालान पर कर क्रेडिट को सटीक रूप से वितरित करने में मदद करेगा।मोहन ने कहा कि शराब, पेट्रोलियम, शिक्षा, रियल एस्टेट और स्वास्थ्य जैसे जीएसटी छूट वाले क्षेत्रों को कर क्रेडिट के प्रभावी प्रबंधन और वितरण को सुनिश्चित करने के लिए अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं को संरेखित करने की आवश्यकता होगी।
केपीएमजी इन इंडिया पार्टनर और हेड इनडायरेक्ट टैक्स अभिषेक जैन ने कहा कि सरकार ने आईएसडी प्रावधानों के कार्यान्वयन की उचित अवधि दी है, जिससे कंपनियों को पूरी तरह से तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। जैन ने कहा कि अब व्यवसायों को समय पर अनुपालन तत्परता सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक रूप से तैयार होना शुरू कर देना चाहिए, जिसमें गो-लाइव डेट से पहले गहन परीक्षण करने के लिए आईटी क्षमताओं को बढ़ाना शामिल है।
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