सरसों तेल एवं अन्य खाद्य तेलों के दाम आएंगे नीचे, फेस्टिव सीजन में सरकार ने उठाए ये बड़े कदम
Edible Oil Price खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने तिलहन और खाद्य तेलों पर स्टाक सीमा लागू कर दी है। स्टाक सीमा का यह फैसला 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगा।
By Ankit KumarEdited By: Updated: Mon, 11 Oct 2021 08:01 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने तिलहन और खाद्य तेलों पर स्टाक सीमा लागू कर दी है। स्टाक सीमा का यह फैसला 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगा। सरकार ने एनसीडीईएक्स में सरसों तेल और तिलहन के वायदा कारोबार को भी निलंबित कर दिया है। सरकार का यह फैसला खाद्य तेलों की महंगाई पर काबू पाने में सहायक साबित हो सकता है। माना जा रहा है कि कीमतें नहीं बढ़ने से त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
दरअसल, वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों के मूल्य में तेजी की वजह से आयातित खाद्य तेल महंगा पड़ रहा है, जिससे घरेलू जिंस बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पिछले सालभर के दौरान खाद्य तेलों की कीमत में 46 फीसद से अधिक की तेजी दर्ज की गई है। खाद्य तेलों की इस महंगाई पर काबू पाने के उद्देश्य से बहुआयामी रणनीति बनाई गई। इसके तहत पहले खाद्य तेलों के आयात शुल्क को तर्कसंगत बनाने का प्रयास किया गया। इसके अलावा इस कारोबार से जुड़े सभी पक्षकारों को अपनी स्टाक की जानकारी स्वयं घोषित करनी होगी, जिसके लिए अलग वेब पोर्टल भी शुरु किया गया है।
खाद्य तेलों और तिलहन की स्टाक सीमा तय करने के लिए जारी अधिसूचना में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह अधिकार दिया गया है कि अपने यहां उपलब्ध स्टाक और खपत का पैटर्न तैयार करें। वह निर्यातक इस प्रविधान से मुक्त होगा, जिसका स्टाक रिफाइनरी, मिल मालिक, तेल निकालने वाला, थोक व्यापारी, खुदरा विक्रेता अथवा डीलर के पास निर्यात के लिए रखा गया है। यही प्रविधान आयातकों के लिए भी होगा। निर्धारित सीमा से अधिक रखे स्टाक को सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर घोषित करना होगा।
एक साल में 43 फीसद बढ़ा सरसों का तेलउपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक घरेलू जिंस बाजार में नौ अक्टूबर, 2021 को सोयाबीन तेल का मूल्य 154.95 रुपये प्रति किलो है, जबकि सालभर पहले यह 106 रुपये प्रति किलो था। इसी तरह सरसों तेल का मूल्य 43 फीसद बढ़कर 184 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गया है, जो सालभर पहले 129 रुपये किलो था। वनस्पति तेल का मूल्य 95.5 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 136.74 रुपये हो गया है। मालूम हो कि खाद्य तेलों की घरेलू खपत 60 फीसद हिस्सा आयात से पूरा किया जाता है।