National Pension System के रिव्यू के लिए भारत सरकार ने फाइनेंस सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक पैनल गठित कर दिया है। रिव्यू के पीछे सरकार का उद्देश्य एनपीएस के लाभ को बढ़ाना है। (जागरण फाइल फोटो)
By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Mon, 24 Apr 2023 01:20 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार की ओर से हाल ही में दो दशक पुराने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के रिव्यू के लिए कमेटी बनाई गई है। इसका उद्देश्य सरकार और कर्मचारियों के बीच पेंशन विवाद को खत्म करना और उच्च योगदान के साथ रिटायरमेंट पर अधिक लाभ देना है।
सरकार की ओर से बनाई गई इस कमेटी का वित्त सचिव
टीवी सोमनाथन नेतृत्व कर रहे हैं। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि पैनल ओपीएस की तरह ही कर्मचारियों को एक फिक्स पेंशन देने की सिफारिश कर सकता है, लेकिन नॉन-कंट्रीब्यूटरी सिस्टम वापस नहीं लिया जाएगा।
Old Pension System (OPS) की बढ़ रही मांग
केंद्र सरकार की ओर से नेशनल पेंशन सिस्टम को रिव्यू के लिए पैनल ऐसे समय पर बनाया गया है, जब देश में तेजी से ओपीएस की मांग बढ़ रही है।
ओपीएस के तहत कर्मचारी की आखिरी सैलरी का 50 प्रतिशत हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता है। 2004 से पहले नियुक्त हुए कर्मचारियों को
ओपीएस का फायदा मिलता है। ओल्ड पेंशन स्कीम की खासियत है कि इसमें आपको पेंशन की गांरटी मिलती है।
National Pension System (NPS) में कितनी मिलती है पेंशन
नेशनल पेंशन सिस्टम को सिस्टम को सरकार की ओर से जनवरी 2004 में लॉन्च किया गया था। इसमें एकत्रित हुए हुए कुल फंड का 60 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी के द्वारा रिटारमेंट पर निकाला जा सकता है। वहीं, 40 प्रतिशत हिस्से को एन्युटी में निवेश कर दिया जाता है, जिसके जरिए कर्मचारी को पेंशन दी जाती है। इसके जरिए मिलने वाली पेंशन आपकी आखिरी सैलरी का 35 प्रतिशत तक हो सकती है।
कितने राज्यों में लागू हुई ओपीएस
पिछले कुछ सालों में राजनीतिक पार्टीयों की ओर से ओपीएस का इस्तेमाल चुनावी वादों के रूप में किया गया है। राजस्थान, छ्त्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में ओपीएस को लागू किया जा चुका है।