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NCSC तय करेगा देश में होने वाली टेलीकॉम उपकरणों की खरीदारी, भरोसेमंद स्रोत और उत्पादों की सूची जारी करेगी सरकार

इस रुझान को देखते हुए खरीदारी के लाइसेंस समझौता नियम में बदलाव किए गए हैं। 15 जून से लागू होने वाले इन नियमों के तहत एनसीएससी को देश की सुरक्षा के हित में टेलीकॉम उपकरण खरीदारी पर शर्त लगाने का अधिकार होगा।

By NiteshEdited By: Updated: Fri, 12 Mar 2021 02:27 PM (IST)
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NCSC will decide the purchase of telecom equipment

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम क्षेत्र से जुड़ी निजी कंपनियों को अब भरोसेमंद स्रोत से ही टेलीकॉम उपकरणों की खरीदारी करनी होगी। सरकार ने टेलीकॉम उपकरणों की सुरक्षा एवं खरीदारी के लिए भरोसेमंद माध्यम तय करने की जिम्मेदारी नेशनल साइबर सिक्योरिटी को-ऑर्डिनेटर (एनसीएससी) को दी है। भरोसेमंद स्रोत एवं जांचे-परखे उत्पादों की सूची एनसीएससी की तरफ से जारी की जाएगी। एनसीएससी गैरभरोसेमंद स्रोतों की भी सूची जारी कर सकता है। ऐसे स्रोतों से किसी भी प्रकार की खरीदारी की मनाही रहेगी।एनसीएससी पहले उन सभी टेलीकॉम उत्पादों की श्रेणी जारी करेगा, जिनमें सुरक्षा के नियम हर हाल में लागू होंगे। 

टेलीकॉम विभाग की तरफ से 10 मार्च को इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई। सूत्रों के मुताबिक, टेलीकॉम उपकरणों की खरीदारी के मामले में चीन की कंपनियों की तरफ भारतीय कंपनियों के बढ़ते रुझान को देखते हुए सरकार ने यह अधिसूचना जारी की। अधिसूचना में चीन की कंपनियों से खरीदारी की मनाही का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस कदम का लक्ष्य मुख्य रूप से 5जी के प्रसार में चीन की कंपनियों को पूरी तरह से रोकना है। हाल ही में मुंबई में बड़े स्तर पर बिजली गुल होने के मामले में चीन का हाथ होने की बात सामने आई है। भारत की निजी टेलीकॉम कंपनियां उपकरणों की सबसे अधिक खरीदारी चीन से करती हैं और 5जी उपकरणों की खरीदारी को लेकर भी उनका रुझान चीन की ओर बढ़ रहा था। एयरटेल तो चीन की कंपनी हुआवे को आर्डर भी दे चुकी है।

इस रुझान को देखते हुए खरीदारी के लाइसेंस समझौता नियम में बदलाव किए गए हैं। 15 जून से लागू होने वाले इन नियमों के तहत एनसीएससी को देश की सुरक्षा के हित में टेलीकॉम उपकरण खरीदारी पर शर्त लगाने का अधिकार होगा। टेलीकॉम उपकरणों की खरीदारी करने वाली सभी कंपनियां खरीदारी के संबंध में एनसीएससी द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब देने के लिए बाध्य होंगी।सूत्रों के मुताबिक, मुख्य रूप से टेलीकॉम के कोर सेक्टर से जुड़े उपकरणों की खरीदारी पर यह नियम लागू होंगे। 

विशेषज्ञों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भरोसेमंद स्रोत मानने का आधार क्या होगा। यह भी आशंका है कि जिन देशों या विदेशी कंपनियों को गैरभरोसेमंद की सूची में डाला जाएगा, वे भारत के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन या अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।दूसरी तरफ पीएचडी चैंबर के टेलीकॉम कमेटी के मेंटर संदीप अग्रवाल ने बताया कि सरकार के इस फैसले से घरेलू टेलीकॉम मैन्यूफैक्चरर्स को भी लाभ मिलेगा। अभी सरकारी कंपनियां ही भारतीय मैन्यूफैक्चरर्स से खरीदारी कर रही थीं, अब निजी कंपनियां भी इस दिशा में बढ़ेंगी।