Nestle Controversy: फिर विवादों में आई मैगी बनाने वाली कंपनी, अब बेबी फूड को लेकर सामने आई ये बात, दी सफाई
Nestle एक बार फिर विवादों में है। इस बार कंपनी अपने बेबी फूड आइटम में जरूरत से ज्यादा शूगर की मात्रा को लेकर चर्चा में है। नेस्ले पर आरोप हैं कि वह विकासशील देशों में बेबी फूड्स पर शहद के साथ शुगर भी मिलाती है। कंपनी का कहना है कि वह अपने बेबी फूड की प्रोडक्ट पर लगातार सुधार कर रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेस्ले एक बार फिर विवादों में है। इस बार कंपनी पर आरोप है कि वह भारत व दूसरे विकासशील देशों में जो डब्बाबंद शिशु आहार बेचती है उसमें अतिरिक्त चीनी (एडेड शुगर) की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। जबकि कंपनी अमेरिका व विकसित देशों में इन्हीं उत्पादों में चानी की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मानकों के मुताबिक होता है और इनमें एडेड शुगर तो एकदम नहीं होती।
यह बात स्विटजरलैंड की एक एनजीओ जांच एजेंसी पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फुड एक्शन नेटवर्क (आइबीएफएएन) ने अपनी ताजी रिपोर्ट में कही है। नेस्ले इंडिया ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वह भारत में अपने उत्पादों में पिछले पांच वर्षों में 30 फीसद तक अतिरिक्त चीनी की मात्रा कम की है। लेकिन भारत में खाद्य उत्पादों की सुरक्षा व गुणवत्ता की निगरानी करने वाली एजेंसी एफएसएसएआइ ने कहा है कि वह इस पूरे प्रकरण को लेकर अपने स्तर पर जांच करवाएगी।
कंपनी का इनकार: 30 फीसद चीनी का उपयोग कम किया
इस आरोप के बारे में नेस्ले इंडिया ने “हम आप सभी को इस बारे में आश्वस्त करना चाहते हैं कि शिशु आहार उत्पादों को तैयार करने में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, मिनरल्स, आयरन जैसे तमाम पौष्टिक अवयवों को सुनिश्चित किया जाता है। हम अपने उत्पादों की पौष्टिक गुणवत्ता को लेकर कोई भी समझौता न करते हैं और ना ही भविष्य में करेंगे। हम अपनी उत्पादों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए लगातार वैश्विक शोध नेटवर्क की मदद लेते हैं।''
कंपनी का कहना है कि नियमों का पालन करना नेस्ले इंडिया की एक प्रमुख खासियत है और वह इसके साथ कभी भी समझौता नहीं कर सकती है। कंपनी ने यह भी कहा है कि वह लगातार भारत में अपने उत्पादों में अतिरक्त चीनी की मात्रा कम करने में जुटी है और पिछले पांच वर्षों में 30 फीसद तक घटा दिया है। वह अपने ग्राहकों को बेहतरीन पौष्टिक उत्पाद उपलब्ध कराने की कोशिश करती है और यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी। एफएसएसएआइ के सूत्रों ने कहा है कि उन्होंने स्विटजरलैंज स्थित एजेंसी की रिपोर्ट देखी है।
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विकासशील देशों में ज्यादा चीनी
इसका विस्तार से अध्ययन किया जाएगा और इसके आधार पर जांच की जाएगी। यह पूछे जाने पर कि क्या इसकी जांच के लिए समिति का गठन भी किया जा सकता है तो उक्त सूत्रों का कहना है कि इसका फैसला संबंधित रिपोर्ट की विस्तार से जांच करने के बाद किया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया के विकासशील देशों में जो सेरेलेक की बिक्री होती है उसमें काफी ज्यादा अतिरिक्त चीनी है। भारत से ज्यादा अतिरिक्त चीनी फिलीपींस, थाइलैंड जैसे देशों में कंपनी मिला रही है। इस रिपोर्ट के बाद भारतीय शेयर बाजार में नेस्ले के शेयरों की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है।यह भी पढ़ें: EPFO Rule Change: बदल गया नियम, अब इलाज के लिए एक लाख रुपये तक की जा सकेगी अग्रिम निकासी