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प्रत्यक्ष कर संग्रह में 68 प्रतिशत का आया उछाल, चालू वित्‍त वर्ष में 23 नवंबर तक 6.92 लाख करोड़ रुपये रहा आंकड़ा

सरकार के प्रत्यक्ष कर संग्रह में चालू वित्त वर्ष के दौरान खासा बढ़ोतरी देखी गई है। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि पहली अप्रैल से 23 नवंबर के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह लगभग 68 प्रतिशत बढ़कर 6.92 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।

By Manish MishraEdited By: Updated: Tue, 30 Nov 2021 09:53 AM (IST)
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Net direct tax collection up by nearly 68 percent to more than Rs 6.92 lakh crore
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार के प्रत्यक्ष कर संग्रह में चालू वित्त वर्ष के दौरान खासा बढ़ोतरी देखी गई है। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि पहली अप्रैल से 23 नवंबर के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह लगभग 68 प्रतिशत बढ़कर 6.92 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में चौधरी ने कहा, 'चालू वित्त वर्ष में 23 नवंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 6,92,833.6 करोड़ रुपया था। यह वित्त वर्ष 2020-21 की इसी अवधि के मुकाबले 67.93 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में यह 27.02 प्रतिशत अधिक है।'

वित्त वर्ष 2020-21 और 2019-20 में पहली अप्रैल से 23 नवंबर के बीच शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह क्रमश: 4.12 लाख करोड़ रुपये और 5.44 लाख करोड़ रुपये से अधिक था। 23 नवंबर तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह (रिफंड समायोजन से पहले) 8.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक था। यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 48.11 प्रतिशत ज्यादा है। राजधानी दिल्ली सहित देश के अन्य हिस्सों में कर चोरी की घटनाओं के बढ़ने के बारे में जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने इससे इन्कार कर दिया।

राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के बारे में चौधरी ने लोकसभा में कहा कि सितंबर तक जीएसटी क्षतिपूर्ति के तौर पर राज्यों को लगभग 52,000 करोड़ रुपये दिया जाना बाकी है। क्षतिपूर्ति के तौर पर 13,153 करोड़ रुपये की सबसे ज्यादा रकम महाराष्ट्र को दी जानी है। जबकि उत्तर प्रदेश को 5,441 करोड़ रुपये, तमिलनाडु को 4,943 करोड़ रुपये, दिल्ली को 4,647 करोड़ रुपये और कर्नाटक को 3,528 करोड़ रुपये दिए जाने बाकी हैं। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड को किसी तरह की क्षतिपूर्ति लंबित नहीं है।

छह वर्षो में पंजीकृत हुई सात लाख कंपनियां

पिछले करीब छह वर्षो के दौरान जहां पांच लाख कंपनियां बंद हुई हैं वहीं सात लाख नई कंपनियों का पंजीकरण हुआ है। कारपोरेट मामलों के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सोमवार को लोकसभा में बताया, 'एक अप्रैल 2016 से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 5,00,506 कंपनियां बंद हुई हैं। जबकि कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत 7,17,049 नई कंपनियां पंजीकृत हुई हैं। उन्होंने यह जानकारी तब दी, जब उनसे नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना महामारी के बाद बंद हुई कंपनियों के राज्यवार आंकड़ों के बारे में पूछा गया।

6,018 छात्रों ने उठाया कौशल कर्ज योजना का लाभ

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने लोकसभा में बताया कि इस साल 31 अक्टूबर तक कौशल कर्ज योजना के तहत 6,018 लोग लाभान्वित हुए हैं। सरकार ने नेशनल स्किल क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के तहत कौशल विकास पाठ्यक्रम के इच्छुक छात्रों को ऋण सुविधा प्रदान करने के लिए 15 जुलाई, 2015 को इस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का लाभ हर वह छात्र उठा सकता है, जिसने पालिटेक्निक, आइटीआइ या केंद्र अथवा राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूल में प्रवेश लिया हो। ऋण की राशि पाठ्यक्रम के आधार पर 5,000 रुपये से 150,000 रुपये तक होती है। इस कर्ज को तीन से सात वर्षो के अंदर चुकाना होता है।

एमएसएमई को 2.89 लाख करोड़ का गारंटी-मुक्त कर्ज

एमसएसमई मंत्री नारायण राणे ने राज्यसभा को बताया कि इस वर्ष 12 नवंबर तक एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों को 2.82 लाख करोड़ रुपये के गारंटी-मुक्त कर्ज का आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 23 मई को सरकार ने एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपये के गारंटी-मुक्त कर्ज की व्यवस्था की थी। इसके तहत कंपनियां कुछ शर्तो के साथ यह कर्ज ले सकती थीं। राणे ने बताया कि सरकार ने अपने विभागों व केंद्रीय उपक्रमों को एमएसएमई सेक्टर का बकाया 45 दिनों के भीतर चुका देने का भी निर्देश दिया हुआ है।