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नए E-commerce Rules का भारत पर पड़ेगा गहरा प्रभाव, जानिए किन कंपनियों को होगा बड़ा फायदा

ई-कॉमर्स सेक्टर (E-Commerce Sector) से जुड़े नियम और प्रावधान कड़े होने जा रहे हैं। इससे Amazon एवं Walmart समर्थित Flipkart जैसी विदेशी कंपनियों और Reliance Tata Group जैसी भारतीय कंपनियों के बीच मुकाबला और तेज होने जा रहा है।

By Ankit KumarEdited By: Updated: Wed, 30 Jun 2021 03:33 PM (IST)
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विदेशी ब्रोकरेज कंपनी Jefferies के एक नोट में य़ह कहा गया है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। ई-कॉमर्स सेक्टर (E-Commerce Sector) से जुड़े नियम और प्रावधान कड़े होने जा रहे हैं। इससे Amazon एवं Walmart समर्थित Flipkart जैसी विदेशी कंपनियों और Reliance, Tata Group जैसी भारतीय कंपनियों के बीच मुकाबला और तेज होने जा रहा है। विदेशी ब्रोकरेज कंपनी Jefferies के एक नोट में कहा गया है, ''प्रस्तावित नियमों में वेंडर्स के परोक्ष स्वामित्व, लेबल और फ्लैश सेल को लक्षित किया गया है। विदेशी कंपनियों (Amazon, Flipkart) एवं भारतीय कंपनियों (Reliance, Tata Grp) के बीच की लड़ाई और जोर पकड़ने वाली है।''

इस नोट में कहा गया है कि भारत में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री से जुड़े नियम-कायदे काफी जटिल हैं। इस नोट में कहा गया है कि भारत में B2B (बिजनेस से बिजनेस), सिंगल ब्रांड रिटेल का पूरा फ्रेमवर्क काफी स्थिर है। वहीं, इंवेट्री वाले ई-कॉमर्स में एफडीआई वर्जित है। मार्केटप्लेस में 100 फीसद एफडीआई की अनुमति भारत सरकार देती है लेकिन प्रावधानों में बदलाव हो रहे हैं। वर्ष 2018 के नियमों के मुताबिक Amazon को एक प्रमुख सेलर में अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ी थी।

जुलाई, 2020 में ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए नए नियम लागू किए गए थे। हालांकि, 2021 में उन नियमों में संशोधन अब भी ड्राफ्ट स्टेज में है। लोग छह जुलाई तक इस पर अपनी राय दे सकते हैं। Jefferies ने कहा है कि ये भारत और विदेशी कंपनियों द्वारा समर्थित दोनों तरह के प्लेटफॉर्म पर लागूं होंगे लेकिन हमारी अध्ययन के मुताबिक ये Amazon और Flipkart के लिए ज्यादा प्रासंगिक नजर आ रहे हैं।

इस नोट में कहा गया है कि मार्केटप्लेस अपने प्लेटफॉर्म पर कोई सामान या सर्विस किसी वेंडर को नहीं बेच सकते हैं। वही मार्केटप्लेस का नाम या ब्रांड किसी प्रोडक्ट के साथ यूज नहीं हो सकता है। उदाहरण के लिए Alexa के साथ Amazon शब्द नहीं आएगा।

Amazon ने 2013 में मार्केटप्लेस के रूप में शुरुआत की थी लेकिन बाद में उसे FDI की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।