नई सरकार के एजेंडे में होगा डॉलर पर निर्भरता कम करना, रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण पर रहेगा फोकस
नई सरकार के गठन के बाद आरबीआई रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण और डॉलर पर निर्भरता कम करने के काम में जोर-शोर से जुट सकता है। रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए आरबीआई ने आंतरिक कमेटी का गठन किया था जिसकी सिफारिशों को चुनाव बाद लागू किया जा सकता है। इसके साथ ही आरबीआई ने डॉलर पर निर्भरता कम करने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हाल ही में आरबीआई के 90वें स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि नई सरकार के गठन के बाद आरबीआई का काम काफी बढ़ जाएगा और उन्हें फुर्सत तक नहीं मिलेगी। जानकारों का कहना है कि नई सरकार के गठन के बाद आरबीआई रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण और डॉलर पर निर्भरता कम करने के काम में जोर-शोर से जुट सकता है और प्रधानमंत्री का इशारा इस ओर ही था।
डॉलर पर कम होगी निर्भरता
आरबीआई से प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि वैश्विक स्तर पर रुपये की पहुंच और स्वीकार्यता के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। डॉलर पर निर्भरता को कम करने की दिशा में आरबीआई ने पिछले कुछ महीनों से सोने की खरीदारी तेज कर दी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2028 तक दुनिया के विकास में भारत की हिस्सेदारी वर्तमान के 16 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो जाएगी और वैश्विक विकास व व्यापार में भारत से अधिक अपेक्षाएं की जाने लगेंगी। ऐसे में, रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से भारत के साथ उन देशों की भी डालर पर निर्भरता कम होगी जो भारत से अधिक व्यापार करते हैं।
रुपये को मजबूत करने के प्रयास
रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए आरबीआई ने आंतरिक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश के मुताबिक, भारत को रुपया ट्रांजेक्शन के हब के साथ रुपये के मूल्य निर्धारण का केंद्र बनाना होगा। एक्सचेंज पर रुपये का ट्रेड होगा, जहां देसी व विदेशी दोनों प्रकार के यूजर्स हिस्सा ले सकेंगे।
द्विपक्षीय व बहुपक्षीय व्यापार की बिलिंग से लेकर भुगतान तक की व्यवस्था रुपये और स्थानीय करेंसी में करनी होगी। जिन देशों के साथ व्यापार हो रहा है, उसकी करेंसी को रुपये से अदला-बदली की सुविधा बहाल करनी होगी।
विदेश में रहने वाले भारतीयों को रुपये से जुड़े बैंक खाते खुलवाने के लिए प्रेरित करना होगा और उन्हें कुछ सहूलियत भी देनी होगी। भारतीय भुगतान प्रणाली को अन्य देशों की भुगतान प्रणाली के साथ जोड़ने का काम करना होगा।
वैश्विक स्तर पर चौबीस घंटे रुपये की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। सूत्रों के मुताबिक रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए नई सरकार के गठन के बाद आरबीआई इन सिफारिशों को लागू करने में जुट सकता है।यह भी पढ़ें: बुनियादी ढांचे पर सरकारी जोर से निवेश चक्र बढ़ाने में मिलेगी मदद: आरबीआई