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ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए हैं डिजिटल लेंडिंग के नए नियम : आरबीआई डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि तीसरे पक्ष के अनियंत्रित जुड़ाव डेटा गोपनीयता का उल्लंघन अनैतिक तरीकों से कर्ज की वसूली करना और अत्यधिक ब्याज दर जैसी गतिविधियों को काबू करने के लिए आरबीआई ने डिजिटल लेंडिंग के नियमन का फैसला किया है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 03:36 PM (IST)
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New rules for digital lending issued to protect the interests of customers said RBI Deputy Governor
बिजनेस डेस्क, एजेंसी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने गुरुवार को कहा कि हाल ही में जारी डिजिटल लेंडिंग के नियम उन कमियों को दूर करने के लिए डिजाइन किए गए हैं, जिसका इस्तेमाल कर कंपनियां ग्राहकों का शोषण कर सकती थीं।

एसोचैम (Assocham) की ओर से आयोजित किए गए एक समारोह में राव ने कहा कि तीसरे पक्ष के अनियंत्रित जुड़ाव, डेटा गोपनीयता के उल्लंघन, अनैतिक तरीकों से कर्ज की वसूली करना और अत्यधिक ब्याज दरों जैसी गतिविधियों को काबू में करने के लिए आरबीआई ने डिजिटल लोन के नियमन का फैसला किया है।

फिनटेक कंपनियां जता चुकी हैं चिंता

आरबीआई ने विशेषज्ञों के साथ कई महीनों की बातचीत और सलाह के बाद 10 अगस्त को डिजिटल लोन से जुड़े नियमों को जारी किया था। इसके साथ ही बीते हफ्ते कहा था कि ये नियम सभी डिजिटल लेंडिंग देने वाली कंपनियों को इस साल नवंबर तक लागू करने हैं। नियमों के जारी होने के बाद कई फिनटेक कंपनियों ने चिंता जारी करते हुए कहा था कि इससे हमारा व्यापार खतरे में पड़ सकता है।

ग्राहकों के हितों की होगी सुरक्षा

राव ने आगे कहा कि नए नियमों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इनोवेशन और सिस्टम के बीच एक बैलेंस स्थापित किया जा सके। साथ ही इसका उद्देश्य यह है कि ग्राहकों को कंपनियों के शोषण से बचाना है।

डिजिटल लेंडिंग से छोटे व्यापारियों को मिल रहा सहारा

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि डिजिटल लोन देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इससे छोटे व्यापारियों को कैश फ्लो बनाए रखने में मदद मिलती है। नियमों को जारी करते समय नियामकों ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि इंडस्ट्री में इनोवेशन को बढ़ावा मिले। लेकिन ग्राहकों के हितों को कोई भी खतरा न हो। सरकार की भी कोशिश देश में अंतिम व्यक्ति तक वित्तीय सेवाओं को पहुंचाने की है। मौजूदा समय में देश के 78 प्रतिशत वयस्क नागरिकों के पास बैंक अकाउंट हैं, यह आंकड़ा 2014 में 53 फीसदी पर था।