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भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर वाली डिजिटल इकोनॉमी बनाने के विजन के और करीब लाते हैं ऑनलाइन गेमिंग के नए नियम

हमारे देश में ऑनलाइन गेमिंग का उद्योग 28-30 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है और 2025 तक इसके 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। देश में 900 से अधिक गेमिंग कंपनियां और 20 करोड़ से अधिक ऑनलाइन गेमर्स हैं जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर हैं।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Mon, 24 Apr 2023 06:02 PM (IST)
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new rules of online gaming digital economy of India
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश आज चौतरफा विकास और व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, क्योंकि 40 साल से कम उम्र के 1.4 बिलियन से अधिक लोगों की आबादी वाला एक युवा भारत तेजी से करवट ले रहा है। इसी दौर में सरकार भी तीन प्रमुख स्तंभों- डिजिटल टैक्नोलॉजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी के माध्यम से अर्थव्यवस्था का संचालन कर रही है।

इसी दृष्टिकोण के साथ ऑनलाइन गेमिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के हालिया नियमों को देखना होगा। एक नोडल मंत्रालय के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की नियुक्ति और ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने और कंपनियों पर ध्यान देने का प्रयास दरअसल इस तेजी से उभरते क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

साथ ही यह कदम उद्योग को जिम्मेदारी से आगे बढ़ने और पहले से अधिक एफडीआई आकर्षित करने का जिम्मा भी सौंपता है। इस तरह ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पहले से अधिक इनोवेशन का नेतृत्व कर सकती है और 2025-26 तक 1 ट्रिलियन डॉलर वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

तेजी से बढ़ता महत्व

हमारे देश में ऑनलाइन गेमिंग का उद्योग 28-30 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है और 2025 तक इसके 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। देश में 900 से अधिक गेमिंग कंपनियां और 20 करोड़ से अधिक ऑनलाइन गेमर्स हैं, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर हैं। जबरदस्त उछाल का श्रेय किफायती स्मार्टफोन और सस्ती डेटा दरों को दिया जाता है।

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नियम, नियामक अनुपालन आवश्यकताओं के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। साथ ही इन नियमों के लागू होने के बाद शासन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करते हुए इस उभरते हुए क्षेत्र को और गति मिल सकती है।

उद्योग के लिए नियमों और इसे मिली मान्यता से इस क्षेत्र के लिए एफडीआई के द्वार खुलने की संभावना है, जिसके 2025 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

मजबूत नींव की शुरुआत

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कुछ प्रमुख प्रस्तावों में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए स्व-नियामक निकायों की स्थापना करना शामिल है। साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य केवाईसी के साथ-साथ शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना करना भी शामिल है। इसके अलावा, स्व-नियामक निकाय को ऐसी नीतियां बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है जो वित्तीय नुकसान और लत जैसे जोखिमों को दूर कर सकें। ओजीआई के लिए इन नीतियों का पालन करना आवश्यक होगा।

ये अनुपालन दायित्व दुनिया भर में अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं। उदाहरण के लिए, स्वीडन में, ऑनलाइन कंपनी के लिए एक लाइसेंसिंग प्रणाली सुनिश्चित करती है कि केवल वैध ऑपरेटर ही ऑनलाइन गेमिंग सेवाओं की पेशकश करें। स्वीडिश सरकार ने लोगों को गेमिंग की लत न लगे, इस दिशा में भी उपाय पेश किए हैं, जैसे सेल्फ-एक्सक्लूशन और उपयोगकर्ता द्वारा लगाई गई जमा सीमा।

इसी तरह, कनाडा में, जो ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन है, खिलाड़ियों की सुरक्षा, निष्पक्ष गेमिंग और जिम्मेदार गेमिंग सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण नियम बनाए गए हैं। लाइसेंसिंग आवश्यकताएं और खिलाड़ियों का सत्यापन करने की प्रक्रिया इन प्रोटोकॉल के लिए महत्वपूर्ण रही है।

इनोवेशन को बढ़ावा देना और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना नियम ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को स्पष्टता और पारदर्शिता प्रदान करेंगे, जो स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा देगा। स्पष्ट दिशानिर्देशों और एक सहायक विनियामक वातावरण के साथ, ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र की तरफ और अधिक निवेशकों और कंपनियों के आकर्षित होने की उम्मीद है, जिससे रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे और निश्चित तौर पर आर्थिक विकास की गति और बढ़ेगी।

जीएसटी के मुद्दे पर स्पष्टता

आशा है कि इस विकास से क्षेत्र के कराधान ढांचे के बारे मंे भी जल्द निर्णय किया जाएगा। यह मामला काफी समय से लंबित है। इस बारे में निर्णय होने से जीएसटी परिषद को उद्योग के लिए एक संतुलित और तर्कसंगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी, जिससे इस क्षेत्र में विदेशी निवेश को और बढ़ावा मिलेगा। एक निश्चित नियम-कायदे होने से भी स्टार्टअप्स को नए गेम और नवीन तकनीकों को विकसित करने का प्रोत्साहन मिलेगा और इस तरह उद्योग के विकास को और बढ़ावा मिलेगा।

वास्तव में, यह न केवल भारत के एवीजीसी में वैश्विक तौर पर अग्रणी बनने के दृष्टिकोण को साकार करने में मदद करेगा, बल्कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बढ़ावा देगा। इस तरह इस सेक्टर में नई कंपनियों को बढ़ावा दिया जा सकेगा और निवेशकों का विश्वास बढ़ाया जा सकेगा और नए रोजगार सृजित किए जा सकेंगे।

अंत में यह कहा जा सकता है कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए भारत पहले से ही शीर्ष पांच वैश्विक बाजारों में शामिल है। गेमिंग क्षेत्र में भारत के नए भुगतान करने वाले उपयोगकर्ताओं (एनपीयू) का अनुपात दुनिया में सबसे तेज दर से बढ़ा है, जो 2020 में 40 फीसदी से बढ़कर 2021 में 50 फीसदी हो गया है। संकेत साफ हैं - सही विनियामक प्रावधानों के साथ, भारतीय गेमिंग कंपनियां और ब्रांड वैश्विक गेमिंग क्षेत्र में अग्रणी बनने की राह पर हैं।