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नए नियमों से 40 फीसदी घट सकती है F&O ट्रेडिंग, NSE-BSE की कमाई पर भी लगेगी तगड़ी चोट

जेफरीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक साप्ताहिक विकल्प अनुबंधों की संख्या को 18 से घटाकर छह करने के सेबी के प्रस्तावित उपायों से उद्योग के प्रीमियम पर लगभग 35 प्रतिशत प्रभाव पड़ सकता है। अगर कारोबार बाकी अनुबंधों पर स्थानांतरित होता है तो समग्र प्रभाव 20-25 प्रतिशत तक कम हो सकता है। एनएसई की आय में 25-30 प्रतिशत और बीएसई की आय में 15-18 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 11 Aug 2024 07:55 PM (IST)
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एफएंडओ सेगमेंट में अब निवेशक घट सकते हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी की ओर से सिक्योरिटीज में वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) कारोबार के लिए प्रस्तावित नियमों से शेयर बाजारों और ब्रोकरों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है। सेबी ने खुदरा कारोबारियों को नुकसान से बचाने के लिए नए नियम पेश किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी के इन नियमों से एफएंडओ कारोबार की मात्रा में 30-40 प्रतिशत की गिरावट आएगी। अगर इन उपायों को लागू किया गया तो खुदरा निवेशकों की संख्या में कमी आ सकती है।

एनएसई-बीएसई की आय में आएगी गिरावट

जेफरीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साप्ताहिक विकल्प अनुबंधों की संख्या को 18 से घटाकर छह करने के सेबी के प्रस्तावित उपायों से उद्योग के प्रीमियम पर लगभग 35 प्रतिशत प्रभाव पड़ सकता है। अगर कारोबार बाकी अनुबंधों पर स्थानांतरित होता है तो समग्र प्रभाव 20-25 प्रतिशत तक कम हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 तक एनएसई की आय में 25-30 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की आय में 15-18 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।

क्या हैं सेबी के सात प्रस्ताव

सेबी के इन सात प्रस्तावों में साप्ताहिक विकल्प अनुबंधों को युक्तिसंगत बनाना, परिसंपत्तियों की स्ट्राइक कीमतों को युक्तिसंगत बनाना और अनुबंध समाप्ति के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभों को हटाना शामिल है। अन्य चार प्रस्तावों में विकल्पों के खरीदारों से विकल्प प्रीमियम का अग्रिम संग्रह, सौदे करने की सीमा की दिन में कारोबार के दौरान निगरानी, लॉट आकार में वृद्धि और अनुबंध समाप्ति के निकट मार्जिन आवश्यकताओं में वृद्धि शामिल हैं।

वित्त मंत्री निर्मला समेत सभी फाइनेंशियल रेगुलेटर एफएंडओ में रिटेल इन्वेस्टर्स की बढ़ती भागीदारी से चिंतित हैं। यही वजह है कि एफएंडओ पर लगाम लगाने के लिए नए नियम लाए जा रहे हैं।

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