Nifty 50 में 13 जुलाई को होने जा रहा है बड़ा बदलाव, निवेशक हैं तो जान लीजिए ये वजह
आगमी हफ्ते की 13 तारीख को शेयर बाजार के निफ्टी में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस बदलाव के बाद से तीन कंपनियों के शेयरों को फायदा होगा। अगर आप भी निवेशक हैं तो आपको लिए यह खबर जाननी बेहद जरूरी है। आपको बता दें कि निफ्टी में होने जा रहे इस बदलाव की घोषणा खुद एनएसई स्टॉक एक्सचेंज ने एक रिलीज जारी कर की है।
नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: भारतीय शेयर बाजार के दो प्रमुख सूचकांकों में से एक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) जिसे निफ्टी भी कहा जाता है, उसमें एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है।
दरअसल निफ्टी 50 और निफ्टी 100 दोनों के इंडेक्स में से एक कंपनी के शेयर 13 जुलाई को डी-लिस्ट हो जाएंगें और उसकी जगह दूसरी कंपनी की लिस्टिंग होगी।
कौन सी कंपनी होगी डी-लिस्ट?
दरअसर एचडीएफसी लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक के मर्जर होने के बाद निफ्टी 50 इंडेक्स से एचडीएफसी लिमिटेड के शेयर डी-लिस्ट हो जाएंगें। एचडीएफसी लिमिटेड के शेयर डी-लिस्ट होते ही इसकी जगह एलटीआईमाइंडट्री लिमिटेड (LTIMindtree Ltd) के शेयर निफ्टी 50 में लिस्ट हो जाएंगें।
वहीं निफ्टी 100 इंडेक्स में से एचडीएफसी लिमिटेड के डी-लिस्ट होते ही जिंदल स्टील एंड पावर (Jindal Steel & Power) के शेयर निफ्टी 100 में लिस्ट हो जाएंगें। इस बात की घोषणा आज खुद स्टॉक एक्सचेंज ने की है।
एनएसई ने एक रिलीज जारी करते हुए कहा कि
एनएसई इंडेक्स लिमिटेड की सूचकांक रखरखाव उप-समिति (इक्विटी) ने एचडीएफसी-एचडीएफसी बैंक मर्जर के बाद विभिन्न सूचकांकों में स्टॉक को बदलने का निर्णय लिया है।
मैनकाइंड फार्मा को भी मिलेगी जगह
भारत की बड़ी फार्मा कंपनियों में से एक मैनकाइंड फार्मा (Mankind Pharma) को भी एचडीएफसी के डी-लिस्टिंग के बाद फायदा पहुंचेगा। आपको बता दें कि मैनकाइंड फार्मा, एचडीएफसी लिमिटेड को निफ्टी 500 में रिप्लेस करेगी। इसके अलवा जिंदल स्टील एंड पावर को निफ्टी नेक्स्ट 500 में एलटीआईमाइंडट्री की जगह शामिल किया जाएगा।
एनएसई ने एक रिलीज जारी करते हुए कहा कि
ये परिवर्तन 13 जुलाई, 2023 (12 जुलाई, 2023 के बंद के बाद) से प्रभावी होंगे।
एचडीएफसी का हुआ था मर्जर
1 जुलाई को एचडीएफसी लिमिटेड का एचडीएफसी बैंक में विलय हुआ था। विलय के बाद एचडीएफसी बैंक देश का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बैंक और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया है। दोनों के बीच यह डील भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ी डील है। यह डील 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर में हुई है।