"ट्रंप की बात को गंभीरता से लेना चाहिए", रूस से तेल खरीदी, भारत का नाम लेकर क्या बोल गईं निक्की हेली?
अमेरिकी राजनीति की चर्चित हस्ती निक्की हेली (Nikki Haley) ने हाल ही में भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदजैसे मुद्दों पर अमेरिका के साथ मिलकर समाधान निकालना चाहिए और ट्रंप की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए। लेकिन अगर इस बयान को भारत के दृष्टिकोण से देखा जाए तो तस्वीर बिल्कुल अलग नज़र आती है।
नई दिल्ली | रिपब्लिकन नेता और अमेरिकी राजनीति की चर्चित हस्ती निक्की हेली (Nikki Haley) ने हाल ही में भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदजैसे मुद्दों पर अमेरिका के साथ मिलकर समाधान निकालना चाहिए और ट्रंप की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए।
लेकिन अगर इस बयान को भारत के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो तस्वीर बिल्कुल अलग नज़र आती है। भारत हमेशा से ही अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को ध्यान में रखकर फैसले करता आया है। देश की 140 करोड़ आबादी के लिए सस्ती और स्थायी ऊर्जा ज़रूरी है।
रूस से किफ़ायती दामों पर तेल खरीदना भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए मजबूरी भी है और रणनीति भी। यह न केवल हमारी जनता को राहत देता है बल्कि महंगाई पर काबू रखने में भी मदद करता है। ऐसे में किसी भी देश को भारत के इस अधिकार पर सवाल उठाने का नैतिक हक़ नहीं होना चाहिए।
एशिया में चीन की बढ़ती ताक़त का जवाब भारत ही है
हेली ने यह भी कहा कि भारत को चीन जैसा विरोधी नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक साझेदार की तरह देखा जाना चाहिए। असलियत यह है कि अमेरिका को भी पता है कि एशिया में चीन की बढ़ती ताक़त का जवाब भारत ही है।
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अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति भारत के बिना अधूरी है। यही वजह है कि बार-बार भारत-अमेरिका की दोस्ती की अहमियत पर ज़ोर दिया जाता है।
भारत की विदेश नीति "भारत प्रथम" के सिद्धांत पर आधारित
ट्रंप के दबाव या अमेरिकी राजनीति के बयानों के बावजूद भारत ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है। चाहे वह रूस से तेल खरीद हो, रक्षा समझौते हों या फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्वतंत्र राय रखना- भारत की विदेश नीति "भारत प्रथम" के सिद्धांत पर आधारित रही है।
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दोस्ती का मतलब बराबरी पर बातचीत ना कि दबाव डालना
निक्की हेली की यह बात सही है कि भारत और अमेरिका दोनों लोकतांत्रिक देश हैं और साझा हित रखते हैं। लेकिन दोस्ती का मतलब बराबरी पर बातचीत है, न कि दबाव डालना।
भारत आज उभरती वैश्विक शक्ति है और अपने निर्णय लेने की क्षमता रखता है। अमेरिका को भी इस बात को समझना होगा कि साझेदारी तभी टिकाऊ होगी जब उसमें सम्मान और आपसी भरोसा शामिल होगा।
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