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ई-कॉमर्स से खुदरा व्यापारियों को नहीं होने दिया जाएगा कोई व्यवधान : गोयल

वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक बयान में कहा कि ई-कॉमर्स के बढ़ते दायरे से छोटे खुदरा व्यापारियों के प्रभावित हो सकते हैं। बता दें कि ई-कॉमर्स से जुड़े एक कार्यक्रम में ही दिया। गोयल ने कहा कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि ई-कामर्स की बड़ी कंपनियां स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से कारोबार नहीं करती है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

By Jagran News Edited By: Ankita Pandey Updated: Wed, 21 Aug 2024 09:20 PM (IST)
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ई-कॉमर्स के बढ़ते दायरे से प्रभावित होंगे छोटे खुदरा व्यापारियों

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ई-कॉमर्स के बढ़ते दायरे से छोटे खुदरा व्यापारियों के प्रभावित होने की आशंका रहती है। ऐसे में वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह संकेत दिया है कि यह सुनिश्चित करने की कोशिश होगी कि खुदरा व्यापारियों का नुकसान न हो। रोचक यह है कि गोयल ने यह बयान ई-कॉमर्स से जुड़े एक कार्यक्रम में ही दिया। उनका मानना है कि ई-कामर्स को लेकर हमें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि ई-कामर्स की बड़ी कंपनियां स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से कारोबार नहीं करती है।

ई-कॉमर्स की भूमिका के बारे में बहुत सावधानी से सोचना होगा

बुधवार को पहल इंडिया फाउंडेशन की तरफ से ई-कॉमर्स का रोजगार पर प्रभाव नामक रिपोर्ट जारी करने के दौरान गोयल ने साफ कहा कि हमें ई-कॉमर्स की भूमिका के बारे में बहुत सावधानी और सतर्कता से सोचना होगा। देश में जो 10 करोड़ छोटे खुदरा व्यापारी है, उन्हें व्यापार में ई-कॉमर्स की वजह से कोई व्यवधान नहीं हो, यह सुनिश्चित करने की जरूरत है।

अधिक मार्जिन वाले उत्पादों में ई-कॉमर्स प्लेटफार्म की दिलचस्पी

उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म अधिक मार्जिन वाले उत्पादों के कारोबार में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं और ऑफलाइन व्यापारियों का मार्जिन खा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री में अधिक मार्जिन होता है, तभी वहां ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी बढ़ रही है। गोयल ने कहा कि 10 साल पहले मोबाइल फोन की जितनी दुकानें दिखती थी, अब नहीं दिखती हैं। ई-कॉमर्स कंपनियां रिपेयरिंग की धारणा खत्म करना चाहती है जबकि यह उपभोक्ता का अधिकार है। ध्यान रहे कि ये खुदरा व्यापारी मुख्यत: भाजपा के वोटर भी रहे हैं।

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हर साल 27 फीसदी की दर से बढ़ रहा ई-कॉमर्स कारोबार

पहल इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में भारत के खुदरा कारोबार में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी 4.7 प्रतिशत थी जो वर्ष 2024 में 10.7 प्रतिशत हो जाएगी। हर साल ई-कॉमर्स के कारोबार में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है। गोयल ने कहा कि 27 प्रतिशत की दर से बढ़ने पर हर तीसरे साल उनकी हिस्सेदारी दोगुनी होती चली जाएगी और अगले दस सालों में खुदरा व्यापार में उनकी हिस्सेदारी आधी हो जाएगी।

अपने घाटे की भरपाई के लिए निवेश करती है अमेजन

उन्होंने कहा कि अमेरिका में रिटेल दुकानें ई-कॉमर्स की वजह से ही बंद हो गईं। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन जब भारत में सैकड़ों डॉलर का निवेश करती है तो हम खुश होते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि वे अपने घाटे की पूर्ति के लिए हमारे यहां निवेश करती हैं। उनका मकसद भारतीय अर्थव्यवस्था की मदद करना नहीं होता है।

ई-कॉमर्स को खत्म करना उद्देश्‍य नहीं

अपने संबोधन में गोयल ने तो यहां तक कह डाला कि ई-कॉमर्स कंपनियों को बी टू सी (बिजनेस टू कंज्यूमर) करने का अधिकार ही नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मैं ई-कॉमर्स को खत्म नहीं करना चाहता। यह यहीं रहने वाला है, लेकिन हमें इसकी भूमिका को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। पिछले पांच सालों से ई-कॉमर्स नीति लाने की तैयारी चल रही है, लेकिन उद्योग विभाग की तरफ से अब तक इस नीति की घोषणा नहीं की गई है।

ई-कॉमर्स नीति की जल्‍द हो घोषणा

खुदरा व्यापारियों का कहना है कि सरकार ई-कॉमर्स नीति के जरिए खुदरा व्यापारियों की मदद कर सकती है और इस नीति को जल्द घोषित करने की जरूरत है। ई-कॉमर्स कंपनियां भी कई बार ह चुकी हैं कि जब ई-कॉमर्स को लेकर कोई नीति ही नहीं है तो हम किसका पालन करें। पहल फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन वेंडर्स ने भारत में 1.58 करोड़ नौकरियों का सृजन किया है और इनमें 35 लाख महिलाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन रिटेलर ऑफलाइन रिटेलर के मुकाबले अधिक नौकरियों का सृजन करते हैं।

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