लैपटॉप के आयात के लिए नहीं लेना होगा लाइसेंस, आयात किए जाने वाले उत्पादों की सिर्फ की जाएगी निगरानी
सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि लैपटॉप और कंप्यूटर आयात करने के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। हालांकि आयातित उत्पाद पर निगरानी की जाएगी। सरकार ने अगस्त में घोषणा की थी कि लैपटॉप कंप्यूटर टैबलेट और अन्य समान उत्पादों के आयात के लिए 1 नवंबर से लाइसेंस लेना होगा। भारत सालाना लगभग 7 अरब डॉलर से 8 अरब डॉलर के इन उत्पादों का आयात करता है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि लैपटॉप और कंप्यूटर के आयात के लिए किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि वह आयात किए जाने उत्पादों की निगरानी करेगी।
पहले सरकार ने लाइसेंस लेना किया था अनिवार्य
सरकार का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसने अगस्त में एलान किया था कि लैपटॉप, कंप्यूटर और टैबलेट सहित इसी तरह के अन्य उत्पादों के आयात के लिए एक नवंबर से लाइसेंस लेना पड़ेगा।
भारत प्रत्यक वर्ष लगभग सात से आठ अरब डालर मूल्य के ये सामान आयात करता है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, 'जहां तक लैपटॉप के आयात की बात हैं तो इस पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। हम केवल यह कह रहे हैं कि जो कोई भी लैपटॉप का आयात करेगा, उस पर सरकार नजर रखेगी और इसका प्रतिबंधों से कोई लेना-देना नहीं है।
आयात किए जाने वाले उत्पादों की होगी निगरानी
विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि निगरानी एक तरह की आयात प्रबंधन प्रणाली होगी, जो एक नवंबर से लागू होगी। इससे संबंधित काम प्रगति पर है और उम्मीद है कि यह 30 अक्टूबर से पहले पूरा कर लिया जाएगा।
सरकार ने लगाया था प्रतिबंध
सरकार ने घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और चीन जैसे देशों से आयात में कटौती के उद्देश्य से अगस्त में लैपटॉप, कंप्यूटर (टैबलेट कंप्यूटर सहित), माइक्रो कंप्यूटर, बड़े या मेनफ्रेम कंप्यूटर और कुछ डाटा प्रोसेसिंग मशीनों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इस अधिसूचना के बाद आइटी हार्डवेयर उद्योग ने चिंता जताई थी। भारत के पास स्टील, कोयला और कागज जैसे कुछ उत्पादों के लिए पहले से ही एक आयात निगरानी प्रणाली है। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआइ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत रोजमर्रा के उपयोग और मोबाइल फोन, लैपटॉप, घटकों, सौर सेल माड्यूल और एकीकृत सर्किट जैसे आद्योगिक उत्पादों के लिए चीन पर काफी कुछ निर्भर है।
सरकार ने इलेक्ट्रानिक वस्तुओं की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई और आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने जैसे कई कदम उठाए हैं।