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जन धन, बेसिक बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस रखने की नहीं जरूरत, 2.30 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंची जमा राशि

निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा कि जन धन और बेसिक बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। वहीं वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि खातों में औसत मासिक न्यूनतम बैलेंस नहीं बनाए रखने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले महीने 2331 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

By Agency Edited By: Ankita Pandey Updated: Tue, 06 Aug 2024 10:38 PM (IST)
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जन धन खातों में नहीं जरूरी है न्यूनतम बैलेंस

पीटीआई, नई दिल्ली।  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि जन धन और बेसिक बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि बैंक केवल उन्हीं मामलों में जुर्माना लगाते हैं, जहां ग्राहक अपने खाते में अपेक्षित राशि बनाए रखने में असफल रहते हैं।

प्रश्नकाल के दौरान सार्वजनिक बैंकों की ओर बीते पांच वर्षों में खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर ग्राहकों से करीब 8,500 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूलने के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने यह जवाब दिया। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि खातों में औसत मासिक न्यूनतम बैलेंस नहीं बनाए रखने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले महीने 2,331 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला है।

2.30 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंची राशि

एक अन्य सवाल के जवाब में पंकज चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत खोले गए खातों में जमा राशि 2.30 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है और अब तक योजना के तहत 52.81 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं।

इसमें से 55.6 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। बैं¨कग सुविधा से वंचित प्रत्येक परिवार को बैं¨कग सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने अगस्त 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के नाम से राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन की शुरुआत की थी। केंद्रीय मंत्री की ओर से दी गई सूचना के अनुसार, योजना के तहत 35.15 करोड़ या 66.6 प्रतिशत खाते ग्रामीण या अ‌र्द्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं।

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ग्राहकों को मिला 140 करोड़ रुपये का मुआवजा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान धोखाधड़ी के मामलों में सरकारी बैंकों ने ग्राहकों को 140 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। यह 2022-23 के 42.70 करोड़ रुपये के मुकाबले तीन गुना से ज्यादा है।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि बैंकों की ओर से बीते पांच वित्त वर्षों के दौरान 9.90 लाख करोड़ रुपये का कर्ज राइट आफ किया गया है। उन्होंने बताया कि 2023-24 के दौरान 1.70 लाख करोड़ रुपये का कर्ज राइट आफ किया गया है जो 2022-23 के 2.08 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।

आरबीआई के दिशा-निर्देशों और बैंक के बोर्ड की ओर से अनुमोदित नीति के अनुसार, एनपीए के चार वर्ष पूरे होने पर उसको बैंक की बैलेंस शीट से राइट आफ के माध्यम से हटा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के राइट आफ से कर्ज लेने वाले को देनदारी से छूट नहीं मिलती है और न ही उसे कोई लाभ होता है। बैंक लगातार इस राशि की वसूली के लिए प्रयासरत रहते हैं।

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