नोकिया के हैंडसेट कारोबार के अधिग्रहण से ग्लोबल तकनीकी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज फोन संचालित करने वाली इस कंपनी पर नियंत्रण तो हासिल कर लिया, लेकिन नोकिया की पूरी विरासत संभालना उसके लिए आसान नहीं होगा। नोकिया के कारोबार में बड़ी हिस्सेदारी इसके सस्ते हैंडसेट की है। भारत सहित विभिन्न उभरती अर्थव्यवस्थाओं
By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
सिंगापुर। नोकिया के हैंडसेट कारोबार के अधिग्रहण से ग्लोबल तकनीकी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज फोन संचालित करने वाली इस कंपनी पर नियंत्रण तो हासिल कर लिया, लेकिन नोकिया की पूरी विरासत संभालना उसके लिए आसान नहीं होगा। नोकिया के कारोबार में बड़ी हिस्सेदारी इसके सस्ते हैंडसेट की है। भारत सहित विभिन्न उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नोकिया की 'आशा सीरीज' जैसे सस्ते हैंडसेट का कारोबार काफी बड़ा है। मगर माइक्रोसॉफ्ट को इस स्तर के बाजार का माहिर खिलाड़ी नहीं माना जाता।
पढ़ें : माइक्रोसॉफ्ट का नोकिया पर कब्जा हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीव बामर ने इस आशंका पर अपनी स्थिति साफ करने की कोशिश की है। बामर का कहना है कि कंपनी सस्ते फोन बाजार को महंगे फोन बाजार के प्रवेश द्वार के तौर पर देखती है। स्मार्टफोन बाजार के फलने-फूलने का रास्ते इन्हीं सस्ते फोन के बाजार से गुजरता है। साथ ही, लोअर एंड के यह फोन हमें अपनी सेवाओं की झलक दुनिया के ज्यादा से ज्यादा हिस्से में पहुंचाने में मदद करेंगे।
जाने कैसे खत्म हुई नोकिया की बादशाहत माइक्रोसॉफ्ट के इस आकलन से कुछ जानकार पूरी तरह सहमत नहीं हैं। शोध एवं सलाहकार फर्म कन्वर्जेस कैटलिस्ट के साडोदार जयंत कोला का कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट को अनुभव की कमी अखर सकती है। नोकिया को भारत जैसे अहम बाजार में रिटेल एंड सप्लाई चेन के क्षेत्र में काफी लंबा अनुभव हासिल था। उभरते बाजारों में खासकर गैर स्मार्टफोन हैंडसेट कारोबार का गणित बेहद अलग तरह का है।
पढ़ें : नोकिया सौदे का असर भारत पर भी पड़ेगा कोला ने कहा कि इस बाजार में सक्रियता से सप्लाई चेन के प्रबंधन, डिस्टिब्यूशन और मौखिक प्रचार जैसे साधनों से ब्रांड निर्माण के काम की जरूरत है। जबकि सस्ते बाजार में परिचालन करना माइक्रोसॉफ्ट के डीएनए में ही शामिल नहीं है। भारत में नोकिया की काफी गहरी पहुंच है। देश में इसके दो लाख आउटलेट हैं जिनमें से 70,000 आउटेलट्स पर केवल नोकिया के हैंडसेट बिकते हैं। चेन्नई में कंपनी का दुनिया का सबसे बड़ा विनिर्माण संयंत्र मौजूद है। दो दशक तक शीर्ष पर रहने के बाद नोकिया भले ही पिछली तिमाही में बिक्री के मामले में सैमसंग से पिछड़ गई थी लेकिन अभी भी बेसिक फीचर फोन के बाजार में यह अव्वल है। अक्टूबर में शोध फर्म नील्सन ने नोकिया को शीर्ष हैंडसेट ब्रांड चुना था। माइक्रोसॉफ्ट को न सिर्फ सैमसंग से टक्कर मिलेगी, बल्कि कार्बन और माइक्रोमैक्स जैसे स्थानीय ब्रांड भी गूगल के एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन तीन-चार हजार रुपये में बेच रहे हैं। इन कंपनियों ने नोकिया के आशा ब्रांड को बाजार में सिर उठाने का मौका ही नहीं दिया। अप्रैल-जून तिमाही में इस ब्रांड के केवल 43 लाख फोन बेच सकी। जबकि इससे पिछली तिमाही में कंपनी ने आशा ब्रांड के 50 लाख फोन बेचे थे।