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विदेशी निवेशकों का बड़ी कंपनियों से मोहभंग, अब नई रणनीति से भारतीय मार्केट में लगा रहे पैसा

इस साल अब तक विदेशी निवेशकों ने प्राइमरी मार्केट में 6 अरब डॉलर से अधिक के शेयर खरीदे हैं। यह 2021 के बाद सबसे अधिक है। वहीं सेकंडरी मार्केट से विदेशी निवेशकों का मोहभंग होने की कई वजहें हैं। उन्हें लग रहा है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिहाज से फायदे का सौदा नहीं रहा। इसमें करेक्शन की गुंजाइश भी है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 27 Aug 2024 07:45 PM (IST)
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विदेशी निवेशकों ने सेकंडरी मार्केट में 3.42 अरब डॉलर के शेयर बेचे हैं।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। विदेशी निवेशक अब महंगे भारतीय शेयरों को बेचकर निकल रहे हैं। दरअसल, भारतीय शेयर मार्केट इस वक्त रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। इसका मूल्यांकन भी कई अन्य प्रमुख बाजारों से अधिक है। यही वजह है कि विदेशी निवेशकों का अधिक जोर बिकवाली पर है। अब उनकी नजर सस्ते विकल्पों पर है।

किन शेयरों में पैसा लगा रहे विदेशी निवेशक?

विदेश निवेशक अब प्राइमरी मार्केट में आ रहे आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स) पर दांव लगा रहे हैं। इनके शेयरों का मूल्यांकन अमूमन कम रहता है और उसी हिसाब से डिमांड भी कम रहती है। अगर अगस्त की बात करें, तो अब तक विदेशी निवेशकों ने सेकंडरी मार्केट में 3.42 अरब डॉलर के शेयर बेचे हैं। वहीं, प्राइमरी मार्केट में 1.47 अरब डॉलर के शेयर खरीदे हैं। यह जानकारी सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) के डेटा से मिली है।

प्राइमरी मार्केट वो जगह है, जहां नई सिक्योरिटीज पहली दफा जारी होती हैं और बेची जाती हैं। जैसे कि किसी कंपनी का आईपीओ या फिर बॉन्ड। वहीं, सेकंडरी मार्केट में निवेशक पहले से जारी सिक्योरिटीज को खरीदते-बेचते हैं। जैसे कि ओला का आईपीओ तो वह प्राइमरी मार्केट था। लेकिन, अगर अब आप ओला का शेयर खरीदेंगे या बेचेंगे, तो वो सेकंडरी मार्केट में होगा।

प्राइमरी मार्केट पर फोकस, सेकंडरी नजरअंदाज

एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अब तक विदेशी निवेशकों ने प्राइमरी मार्केट में 6 अरब डॉलर से अधिक के शेयर खरीदे हैं। यह 2021 के बाद सबसे अधिक है। वहीं, सेकंडरी मार्केट से विदेशी निवेशकों का मोहभंग होने की कई वजहें हैं। उन्हें लग रहा है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिहाज से फायदे का सौदा नहीं रहा। इसमें करेक्शन की गुंजाइश भी है। वहीं, प्राइमरी मार्केट में उन्हें बेहतर रिटर्न की संभावना दिख रही है, वो भी काफी कम समय में।

इस साल एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स अब तक 14 फीसदी बढ़ा है। इसके लार्ज और मिड-कैप शेयरों का 12-महीने का प्राइस-टू-अर्निंग्स (P/E) रेशियो 24 गुना है। यह प्रमुख वैश्विक बाजारों में सबसे अधिक है। वहीं, देश का प्राइमरी मार्केट भी काफी एक्टिव है और कई कंपनियां दनादन आईपीओ ला रही हैं। इस साल अब तक 7.3 अरब डॉलर के आईपीओ लिस्ट हुए हैं। यह एशिया में सबसे अधिक है। दूसरे नंबर पर चीन है, जहां 5.1 अरब डॉलर के आईपीओ की लिस्टिंग हुई है।

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