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अब कुछ घंटों में बैंक से चेक हो जाएगा क्लीयर, आरबीआई जल्द ही जारी करेगा विस्तृत निर्देश

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि अब अन्य बैंक को चेक क्लीयर होने का समय दो दिन से घटकर कुछ घंटे रह जाएगा। इस संबंध में आरबीआई जल्द ही विस्तृत निर्देश जारी करेगा। साथ ही चेक क्लीयरेंस के लिए कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ता है। आरबीआई यूपीआई भुगतान का दायरा बढ़ाना चाहता है। यानी अब यूपीआई से पांच लाख तक के टैक्स का भुगतान किया जा सकेगा।

By Jagran News Edited By: Ankita Pandey Updated: Thu, 08 Aug 2024 08:37 PM (IST)
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आरबीआई ने दिए नए निर्देश कुछ घंटों में ही क्लीयर होगा चेक
राजीव कुमार, नई दिल्ली। अब बैंकों में कुछ घंटों में ही चेक क्लीयर हो जाएगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को यह घोषणा की। अभी दूसरे बैंकों में चेक क्लीयर होने में दो कार्यदिवस का समय लग जाता है।

दास ने कहा कि अब चेक को स्कैन करके क्लीयरेंस के लिए भेजा जाएगा और कार्यदिवस के कुछ घंटों में चेक क्लीयर हो जाएगा। इस संबंध में आरबीआई जल्द ही विस्तृत निर्देश जारी करेगा। चेक क्लीयरेंस के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है।

यूपीआई भुगतान का दायरा बढ़ाएगी RBI

दास ने कहा कि आरबीआई यूपीआई भुगतान का दायरा बढ़ाना चाहता है। इसके तहत अब यूपीआई से पांच लाख तक के टैक्स का भुगतान किया जा सकेगा। अभी यूपीआई से एक लाख रुपए तक के टैक्स का ही भुगतान कर सकते हैं। इससे कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी। इस संबंध में आवश्यक निर्देश बाद में जारी किए जाएंगे। अभी अधिकतर सेवाओं के लिए यूपीआई से भुगतान की सीमा एक लाख तक ही है।

15 दिनों में जेनरेट होंगे सिबिल स्कोरअभी बैंक व अन्य वित्तीय संस्थाओं को कर्ज लेने वालों की क्रेडिट सूचना की जानकारी क्रेडिट इनफार्मेशन कंपनी (सीआईसी) को मासिक आधार पर देनी होती है। लेकिन आरबीआई ने इस नियम में बदलाव करते हुए 15 दिनों पर क्रेडिट सूचना मुहैया करने का निर्देश दिया है। इसका मतलब हुआ कि पहले किसी ग्राहक का सिबिल स्कोर प्रतिमाह जेनरेट होता था जो अब 15 दिन में हो जाया करेगा। इससे ग्राहक के बारे में सटीक जानकारी रहेगी और बैंकों को कर्ज देने में अधिक आसानी होगी।

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फेक ऐप की होगी पहचान

आरबीआई ने कहा कि अब भी डिजिटल रूप से कर्ज देने वाले कई फर्जी ऐप अपना संबंध आरबीआई से बताते हैं। इस प्रकार के ऐप की पहचान के लिए आरबीआई एक सार्वजनिक प्लेटफार्म तैयार कर रहा है जो आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। इस प्लेटफार्म पर जाकर यह पता लगाया जा सकेगा कि किन डिजिटल लें¨डग एप का आरबीआई से संबंध है और कौन एप इस बारे में झूठे वादे कर रहा है।

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