अब IPO की लिस्टिंग पर नहीं मिलेगा 90 फीसदी से अधिक रिटर्न? जानिए क्यों बदला गया नियम
कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने छोटी कंपनियों के आईपीओ में होने वाली धांधली और हेरफेर पर चिंता जताई थी। इसकी रोकथाम के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने नया नियम बनाया है जो तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है। अब स्पेशल प्री-ओपन सेशन के दौरान स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज (SME) के IPO के लिए इश्यू प्राइस पर 90 फीसदी का प्राइस कंट्रोल कैप है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ साल में कई कंपनियां आईपीओ लाकर शेयर मार्केट में लिस्ट हुई हैं। उन्होंने बंपर रिटर्न देकर निवेशकों को मालामाल भी किया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर 2024 में अब तक SME सेगमेंट में करीब 120 कंपनियां लिस्ट हो चुकी हैं। इनमें से 35 कंपनियों के आईपीओ की 99 फीसदी से 415 फीसदी तक तेजी के साथ लिस्टिंग हुई है। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा।
दरअसल, कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने छोटी कंपनियों के आईपीओ में होने वाली धांधली और हेरफेर पर चिंता जताई थी। इसकी रोकथाम के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने नया नियम बनाया है, जो तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है। अब स्पेशल प्री-ओपन सेशन के दौरान स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज (SME) के IPO के लिए इश्यू प्राइस पर 90 फीसदी का प्राइस कंट्रोल कैप है। मतलब कि कोई भी SME सेगमेंट का आईपीओ लिस्टिंग पर 90 फीसदी से अधिक का रिटर्न नहीं दे पाएगा।
हालांकि, यह 90 फीसदी वाली बंदिश सिर्फ SME IPO के लिए है। मेनबोर्ड आईपीओ/रि-लिस्टेड सिक्योरिटीज/पब्लिक डेट पर कोई कंट्रोल नहीं होगा और वे अपनी बाजार हैसियत के अनुसार लिस्ट हो सकेंगी।
कहां होती है गड़बड़ी?
पिछले कुछ समय से SME सेगमेंट में बहुत-सी कंपनियां लिस्ट हुई हैं। इनमें से कई ने बंपर रिटर्न भी दिया है। लेकिन, मार्केट रेगुलेटर सेबी का मानना है कि इसमें हेरफेर की गुंजाइश अधिक होती है।
मार्च में सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा था, 'ऐसी जानकारी है कि SME सेगमेंट में हेरफेर की जा रही है। हमें इस बारे में फीडबैक मिला है कि कुछ संस्थाएं SME सेगमेंट में गड़बड़ी कर रही हैं। हम इससे निपटने के लिए नियम बना रहे हैं। साथ ही, SME आईपीओ को अधिक सुविधाजनक बनाने का प्लान तैयार कर रहे हैं।'