Share Market Update: NSE ने टिक साइज घटाने का किया एलान, जानिए निवेशकों को क्या होगा फायदा
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने 250 रुपये प्रति शेयर से कम कीमत वाले सभी शेयरों के लिए टिक साइज यानी न्यूनतम मूल्य अंतर को 5 पैसे से घटाकर 1 पैसा करने का फैसला किया है। यह फैसला 10 जून से लागू होगा। इससे लिक्विडिटी तो बढ़ेगी ही प्राइस एडजस्टमेंट भी हासिल होगा। यह बदलाव टी+1 सेटलमेंट के तहत आने वाली सिक्योरिटीज पर भी लागू होगा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने 250 रुपये प्रति शेयर से कम कीमत वाले सभी शेयरों के लिए टिक साइज यानी न्यूनतम मूल्य अंतर को 5 पैसे से घटाकर 1 पैसा करने का फैसला किया है। यह फैसला 10 जून से लागू होगा। इससे लिक्विडिटी तो बढ़ेगी ही, प्राइस एडजस्टमेंट भी हासिल होगा। यह बदलाव टी+1 सेटलमेंट के तहत आने वाली सिक्योरिटीज पर भी लागू होगा। एनएसई हर महीने टिक साइज का रिव्यू करेगा।
टिक साइज क्या होता है?
टिक साइज दो लगातार बाय और सेल प्राइस के बीच का मिनिमम प्राइस इंक्रीमेंट है। इसका मतलब है कि टिक साइज जितना छोटा होगा, प्राइस एडजस्टमेंट भी उतना ही सटीक होगा। साथ ही, बेहतर प्राइस निकलकर सामने आएगी। मिसाल के लिए, किसी स्टॉक का टिक प्राइस 0.10 रुपये और उसका लास्ट ट्रेडेड प्राइस 50 रुपये है, तो अगला बाय प्राइस 49.90, 49.80, 49.70 रुपये की सीरीज में होगा।
इस स्थिति में बिड प्राइस 49.75 या 49.72 रुपये नहीं हो सकती, क्योंकि यह 10 पैसे टिक साइज के मापदंड के खिलाफ हो जाती है। लेकिन, 1 रुपये की टिक साइज के साथ यह असुविधा दूर हो जाएगी और निवेशक ज्यादा बेहतर तरीके से शेयर खरीद और बेच सकेंगे।
टिक साइज बदलने का असर?
एक्सपर्ट का कहना है कि इस बदलाव के बाद NSE का प्राइसिंग सिस्टम भी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के बराबर हो जाएगा। बीएसई ने मार्च 2023 में ही 100 रुपये से कम कीमत वाले स्टॉक का टिक साइज 1 पैसा कर दिया था। टिक साइज कम करने से से मार्केट में बेहतर प्राइस डिस्कवरी, लिक्विडिटी और ज्यादा बेहतर ट्रेडिंग सिस्टम तैयार हो सकता है।
एनएसई और बीएसई भारत के दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं। अगर एशिया की बात करें, तो जापान, चीन और हांगकांग के बाद सबसे बड़े हैं।