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NSE चीफ की रिटेल इन्वेस्टर्स को F&O से दूर रहने की सलाह, कहा- म्यूचुअल फंड के जरिए करें निवेश

NSE चीफ आशीषकुमार चौहान का कहन है कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (FO) डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग करना अनुभवी और जानकार निवेशकों के बस की ही बात है। उन्हें मार्केट के उतार-चढ़ाव की समझ होती है और वे जोखिम कम करना भी जानते हैं। वहीं रिटेल इन्वेस्टर्स जानकारी के अभाव में सही तरीके से ट्रेडिंग नहीं कर पाते और अपना नुकसान करा बैठते हैं।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 14 Jun 2024 03:48 PM (IST)
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NSE चीफ ने खुदरा निवेशकों को सुझाव दिया कि उन्हें म्यूचुअल फंड के जरिए इक्विटीज में निवेश करना चाहिए।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के चीफ आशीषकुमार चौहान ने Futures & Options (F&O) जैसे डेरिवेटिव्स सेगमेंट में ट्रेडिंग करने वाले रिटेल इन्वेस्टर्स को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि इसमें सेगमेंट में पैसे डूबने की आशंका काफी ज्यादा रहती है। चौहान ने खुदरा निवेशकों को सुझाव दिया कि उन्हें म्यूचुअल फंड के जरिए इक्विटीज में निवेश करना चाहिए।

F&O अनुभवी निवेशकों के लिए

NSE चीफ ने जोर दिया कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग करना अनुभवी और जानकार निवेशकों के बस की ही बात है। उन्हें मार्केट के उतार-चढ़ाव की समझ होती है और वे जोखिम कम करना भी जानते हैं। वहीं, रिटेल इन्वेस्टर्स जानकारी के अभाव में सही तरीके से ट्रेडिंग नहीं कर पाते और अपनी जमापूंजी लुटा बैठते हैं।

वित्त मंत्री, सेबी भी जता चुके हैं चिंता

पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वर ने F&O में रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए बढ़ते जोखिम पर चिंता जताई। इससे पहले नवंबर 2023 में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने भी निवेशकों को F&O पर बड़ा दांव लगाने से सावधान किया था।

F&O की बढ़ रही लोकप्रियता

तमाम चिंताओं के बावजूद F&O सेगमेंट की लोकप्रियता दिन ब दिन बढ़ रही है, क्योंकि इसमें नुकसान के अत्यधिक जोखिम के साथ लाभ की संभावना भी अधिक रहता है। एफएंडओ सेगमेंट में मासिक कारोबार मार्च 2024 में 8,740 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि मार्च 2019 में यह 217 लाख करोड़ रुपये था।

F&O सेगमेंट में भारी नुकसान

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्टडी से पता चलता है कि इक्विटी F&O सेगमेंट में 89 प्रतिशत रिटेल ट्रेडर को नुकसान हुआ है। उनका औसत घाटा वित्त वर्ष 2022 में 1.1 लाख रुपये रहा। कोरोना महामारी के दौरान F&O ट्रेडर की तादाद में बड़ा उछाल आया। वित्त वर्ष 2019 में 7.1 रिटेल F&O ट्रेडर थे, जो अगले साल में बढ़कर 45 लाख से अधिक हो गए।

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