एनएसई के पूर्व जीओओ ने ही बनाई थी चित्रा के 'रहस्यमय बाबा' की मेल आइडी
NSE Fraud case नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के को-लोकेशन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने विशेष अदालत में दावा किया। इस मामले में गिरफ्तार एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा और सीओओ सुब्रमण्यम दोनों अभी जेल में हैं ।
By Ashish DeepEdited By: Updated: Sat, 12 Mar 2022 12:04 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने दावा किया है कि को-लोकेशन घोटाले में गिरफ्तार नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण के 'रहस्यमय बाबा' की ईमेल आइडी आनंद सुब्रमण्यम ने ही तैयार की थी। सुब्रमण्यम एनएसई का ग्रुप आपरेटिंग आफिसर (जीओओ) और चित्रा का खास था। सीबीआइ ने उसे भी गिरफ्तार किया है। इस नई जानकारी से रहस्यमयी बाबा के राज से पर्दा उठ सकता है।
चित्रा रामकृष्ण कथित तौर पर इस रहस्यमय बाबा से सरकारी कार्यों और अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए भी सलाह लेती थी। विशेष सीबीआइ अदालत को एजेंसी ने यह भी बताया कि वह सुब्रमण्यम और चित्रा रामकृष्ण के टैक्स हेवन माने जाने वाले सेशल्स यात्रा की भी जांच कर रही है, जिसकी चित्रा और रहस्यमयी बाबा के बीच ईमेल पर हुई बातचीत में जिक्र है। सीबीआइ अब अपनी जांच को इस पर केंद्रित कर रही है कि क्या सुब्रमण्यम द्वारा रूप से बनाई गई ईमेल आइडी का उपयोग उसके द्वारा किया गया था या कोई और खाता संचालित कर रहा था।
फारेंसिक आडिट में सुब्रमण्यम का उल्लेख 'बाबा' के रूप में किया गया है, लेकिन पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में इस दावे को खारिज किया है। सेबी ने अपनी रिपोर्ट में चित्रा और 'रहस्यमय बाबा' के बीच ईमेल पर हुई बातचीत का जिक्र किया है, जिसमें सेशल्स यात्रा का भी उल्लेख है। सीबीआइ ने शुक्रवार को अदालत में कहा कि सुब्रमण्यम ही 'बाबा' था। सुब्रमण्यम के वकीलों ने जांच एजेंसी की इस दलील का विरोध किया। एजेंसी ने कहा कि उसका मानना है कि चित्रा और सुब्रमण्यम की घुमने-फिरने के लिए सेशल्स नहीं गए थे, इसलिए वह इसकी जांच कर रही है।
क्या है को-लोकेशनको-लोकेशन का मतलब है कि ब्रोकरेज हाउस अपने सर्वर एक्सचेंज को एनएसई के सर्वर के करीब रखते हैं। एनएसई कुछ शुल्क लेकर यह सुविधा मुहैया कराती है। इससे ब्रोकरेज हाउस के सदस्य बहुत तेजी से एनएसई के सर्वर को एक्सेस कर सकते हैं, जिससे उन्हें शेयरों की खरीद और बिक्री तेजी से करने में मदद मिलती है। इस मामले में आरोप है कि चित्रा और अन्य अधिकारियों ने एक ब्रोकरेज हाउस को समय से पहले एनएसई के सर्वर में एक्सेस करने का मौका दिया। इससे ब्रोकरेज हाउस को शेयरों के भाव और उतार-चढ़ाव की जानकारी पहले मिली और उसने कमाई की।