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NSSO Survey : एक दशक में डबल हुआ परिवारों का खर्च, हेल्‍थ-एजुकेशन पर बढ़ा फोकस

पिछले करीब एक दशक में देश के परिवारों का हर महीने का खर्च दोगुना से भी अधिक बढ़ गया है। इस दौरान परिवार के हर शख्स के घरेलू खर्च में भी बड़ा इजाफा दिखा है। यह जानकारी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ‍िस (NSSO) की स्टडी से मिली है जिसने अगस्त 2022 से जुलाई 2023 तक देशभर में घरेलू खर्च को लेकर सर्वे क‍िया था।

By Jagran News Edited By: Jagran News NetworkUpdated: Sun, 25 Feb 2024 03:29 PM (IST)
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सर्वे का मकसद यह पता लगाना होता है कि आम आदमी के खर्च का तरीका कैसे बदल रहा है

पीटीआई, नई दिल्ली। पिछले करीब एक दशक में देश के परिवारों का हर महीने का खर्च दोगुना से भी अधिक बढ़ गया है। इस दौरान परिवार के हर शख्स के घरेलू खर्च में भी बड़ा इजाफा दिखा है। यह जानकारी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ‍िस (NSSO) की स्टडी से मिली है, जिसने अगस्त 2022 से जुलाई 2023 तक देशभर में घरेलू खर्च को लेकर सर्वे क‍िया था।

NSSO ने अपने सर्वे में पाया कि 2022-23 में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले परिवारों का हर महीने का औसतन खर्च 3,773 रुपये पर पहुंच गया है, जो 2011-12 में 1,430 रुपये था। वहीं, शहरी परिवारों की बात करें, तो उनका खर्च इस दौरान 2,630 रुपये से बढ़कर 6,459 रुपये हो गया।

NSSO के सर्वे के अनुसार Monthly Per-capita Consumer Expenditure (MPCE) शहरी क्षेत्रों में 2011-12 में 2,630 रुपये से बढ़कर 3,510 रुपये हो गया। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यह 1,430 रुपये से बढ़कर 2,008 रुपये हो गया। शहरी क्षेत्रों में मौजूदा कीमत पर औसत MPCE 2011-12 के 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 6,521 रुपये तक पहुंच गया।

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ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें, तो यह 1,430 रुपये से बढ़कर 2,054 रुपये हो गया है। MPCE का अनुमान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले केंद्रीय नमूने में 2,61,746 घरों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्र के 1,55,014 और शहरी क्षेत्र के 1,06,732 घर शामिल हैं।

क्यों किया जाता है यह सर्वे?

Ministry of Statistics and Programme Implementation के अंतर्गत आने वाला NSSO यह सर्वे साल करता है। इसका मकसद यह पता लगाना होता है कि आम आदमी के खर्च में किस तरह से बदलाव हो रहा है। अलग-अलग राज्यों और शहरों में लोगों के खर्च करने का पैटर्न क्या है।

सर्वे से एजुकेशन और हेल्थ जैसी बुनियादी चीजों के बारे में भी पता चलता है, जिन पर लोग पहले की तुलना में अब ज्यादा खर्च कर रहे हैं। सरकार को इस सर्वे के आधार पर अपनी योजनाएं बनाने में भी मदद मिलती है।