शेयर मार्केट में नौजवानों का बढ़ा दबदबा, क्या बुजुर्ग निवेशक बनाने लगे हैं दूरी?
50-59 वर्ष की आयु के निवेशकों और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के निवेशकों की बाजार हिस्सेदारी कम हुई है। 60 वर्ष से अधिक आयु के निवेशकों की हिस्सेदारी मार्च 2018 में जहां 12.7 प्रतिशत थी वहीं अगस्त 2024 में यह कम होकर 7.2 प्रतिशत रह गई। निवेशकों की औसत आयु मार्च 2018 में 38 वर्ष थी जो मार्च 2024 में घटकर 32 वर्ष हो गई।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में अब 30 साल से कम उम्र के युवा निवेशकों का दबदबा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च, 2018 से अगस्त, 2024 के बीच 30 साल से कम आयु के निवेशकों की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मार्च, 2018 में इस आयु वर्ग के निवेशकों की संख्या कुल निवेशकों का केवल 22.9 प्रतिशत थी जबकि अगस्त, 2024 तक इनकी हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई।
यह शेयर बाजार में युवा निवेशकों की भागीदारी में तेजी से वृद्धि को दर्शाता है। आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि जहां 30 वर्ष से कम आयु के निवेशकों की संख्या में वृद्धि हुई है, वहीं अन्य आयु समूहों की हिस्सेदारी या तो घटी है या फिर स्थिर रही है। एनएसई के अनुसार, 30-39 और 40-49 आयु समूहों के निवेशकों की भागदारी अपेक्षाकृत स्थिर रही है। इसके विपरीत बड़ी आयु वर्ग के समूहों की बाजार हिस्सेदारी में स्पष्ट रूप से गिरावट देखी गई है।
उम्रदराज निवेशकों की घटी हिस्सेदारी
डेटा से पता चलता है कि 50-59 वर्ष की आयु के निवेशकों और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के निवेशकों की बाजार हिस्सेदारी कम हुई है। 60 वर्ष से अधिक आयु के निवेशकों की हिस्सेदारी मार्च, 2018 में जहां 12.7 प्रतिशत थी वहीं अगस्त, 2024 में यह कम होकर 7.2 प्रतिशत रह गई। एनएसई के आंकड़ों के अनुसार, निवेशकों की औसत आयु मार्च, 2018 में 38 वर्ष थी जो मार्च, 2024 में घटकर 32 वर्ष हो गई।
इसी तरह, निवेशकों की औसत आयु भी घटी। यह मार्च, 2018 में 41.2 वर्ष से घटकर अगस्त, 2024 में 35.8 वर्ष हो गई। यह प्रवृत्ति बताती है कि शेयर बाजार में निवेश युवा व्यक्तियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जबकि बड़ी आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम हो रही है।