तेल कंपनियों ने छह महीने कमाया बंफर मुनाफा, कीमतों में कटौती के सिवाय इनर्जी वीक में हो रही हर चीज पर बात
इंडिया इनर्जी वीक (आइईडब्लू) में दुनिया के 120 देशों के प्रतिनिधि व ऊर्जा सेक्टर के विशेषज्ञ आये हुए हैं। यहां पर ऊर्जा सेक्टर से जुड़े हर विषय जैसे ऊर्जा सुरक्षा ग्रीन हाइड्रोजन के भविष्य विदेशों में हाइड्रोकार्बन संपत्ति अधिग्रहित करने की रणनीति बड़ी तेल कंपनियों की तरफ से ग्रीन ऊर्जा को अपनाने की रणनीति आदि पर पर चर्चा हो रही है।
जयप्रकाश रंजन, बेतुल (गोवा)। गोवा के बेतुल में स्थित ओएनजीसी के कैंपस में चल रहे इंडिया इनर्जी वीक (आइईडब्लू) में दुनिया के 120 देशों के प्रतिनिधि व ऊर्जा सेक्टर के विशेषज्ञ आये हुए हैं। यहां पर ऊर्जा सेक्टर से जुड़े हर विषय जैसे ऊर्जा सुरक्षा, ग्रीन हाइड्रोजन के भविष्य, विदेशों में हाइड्रोकार्बन संपत्ति अधिग्रहित करने की रणनीति, बड़ी तेल कंपनियों की तरफ से ग्रीन ऊर्जा को अपनाने की रणनीति आदि पर पर चर्चा हो रही है लेकिन उस विषय पर कोई चर्चा नहीं हो रही जो सीधे तौर पर देश के करोड़ों लोगों को प्रभावित करता है।
यह विषय है देश में पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में कटौती का मामला। वित्त वर्ष 2023-24 के पहले छह महीनों में सरकारी क्षेत्र की तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियों को हुए भारी मुनाफे (संयुक्त शुद्ध लाभ-तकरीबन 68,000 करोड़ रुपये) के बावजूद उनकी तरफ से आम जनता को राहत देने की कोई बात नहीं की जा रही।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मुनाफा
कुछ हफ्ते पहले तक पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कमाने वाली इन तीनों कंपनियों (आइओसी, बीपीसीएल व एचपीसीएल) का कहना है कि उन्हें अब डीजल बिक्री में घाटा हो रहा है।देश में पेट्रो उत्पादों के सस्ता होने की संभावना से जुड़े सवाल पर सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारी खुल कर कुछ नहीं बोल रहे।पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि यह एक तार्किक सवाल है लेकिन इसका जबाव तेल कंपनियां उचित समय पर देंगी। सरकार इस बारे में कोई फैसला नहीं करती। उनका यह कहना है कि हाल में तेल कंपनियों को जो मुनाफा हुआ है वह कोई बहुत ज्यादा नहीं है।वैसे भी वैश्विक हालात बहुत ज्यादा अस्थिर हैं जिसकी वजह से कोई भी फैसला करना आसान नहीं है। जहां तक बंपर मुनाफे का सवाल है तो अगर ऐसी ही स्थिति चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2024) में भी रहती है तो कंपनियां कीमतों में संशोधन कर सकती हैं।
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सरकारी तेल कंपनियां किस कीमत पर तेल खरीद रही हैं और खुदरा कीमत तय करने में किस कीमत को आधार बनाया जा रहा है, यह पूरा फार्मूला ही बहुत ही उलझा हुआ है। पेट्रोलियम मंत्रालय के डाटा के हिसाब से जाएं तो चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत ने जून, 2023 में सबसे सस्ती कीमत (औसत मासिक कीमत) पर 74.93 डॉलर प्रति बैरल की दर से क्रूड खरीद की जबकि सबसे महंगी कीमत सितंबर, 2023 में 93.54 डॉलर प्रति बैरल की दी है।