Indian Economy: रूस से रियायती कच्चे तेल का आयात करके भारत को 35,000 करोड़ रुपये का लाभ
रूस से रियायती कच्चे तेल का आयात करना भारत के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। 2020 में कोरोना वायरस के प्रसार के बाद यह दूसरा मौका है जब वैश्विक तेल बाजार में रियायती दरों के चलते भारत ने करोड़ों डॉलर बचाए हैं।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Mon, 19 Sep 2022 10:53 AM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रियायती दरों पर रूसी कच्चे तेल के आयात से भारत को काफी फायदा हुआ है। डिस्काउंट रेट पर क्रूड इंपोर्ट करने और और डोमेस्टिक क्रूड पर विंडफॉल टैक्स लगाने से भारत को 35,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। फरवरी में शुरू हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद कीमतों में उछाल को देखते हुए केंद्र ने विंडफॉल टैक्स की शुरुआत की थी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।
रूस से कच्चे तेल के आयात ने इसे भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना दिया। सऊदी अरब जुलाई में तीसरे स्थान पर पहुंच गया था। फिलहाल सऊदी अरब फिर से दूसरे स्थान पर काबिज हो गया है। रूस हमारा तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है।
दबाव के बीच लिया मजबूत फैसला
सस्ती कीमतों के कारण भारत ने रूस से तेल खरीदने का विकल्प चुना। यूक्रेन संघर्ष के बाद रूसी तेल के पारंपरिक खरीदार पीछे हटने लगे थे और तेल व्यापारियों ने भारी छूट के ऑफर्स देने शुरू के दिए थे। विकसित देशों के रूस से तेल न खरीदने के भारी दबाव के बावजूद भारत ने कच्चे तेल का आयात करना चुना।इस कदम का विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी बचाव किया था। उन्होंने इसे देश के लिए 'सर्वश्रेष्ठ सौदा' कहा। उन्होंने कहा कि भारत हो या यूरोप, सबको इस बात का फैसला करने की आजादी होनी चाहिए कि उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर विपरीत प्रभाव न हो। बता दें कि भारत, चीन के बाद रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।
भारत को कितना फायदा
आपको बता दें कि तेल, रिफाइनर या रिफाइनिंग कंपनियों द्वारा खरीदा जाता है, न कि सरकार द्वारा। अप्रैल-जुलाई के दौरान भारत ने रूस से 11.2 बिलियन डॉलर मूल्य का खनिज तेल खरीदा। आंकड़ों की बात करें तो यह आठ गुना उछाल है। एक साल पहले इसी अवधि में यह तकरीबन 1.3 बिलियन डॉलर था।
सस्ते तेल का आर्थिक मापदंडों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कम कीमत पर खरीदा गया तेल, लागत को कम रखने में मदद करता है। इससे महंगाई को काबू में रखने में सहायता मिलती है। चालू खाता घाटा नियंत्रण रहता है, क्योंकि आयात बिल कम हो जाते हैं। डॉलर की मांग भी घट जाती है।इससे पहले 2020 में भारत 25,000 करोड़ रुपये बचाने में कामयाब रहा था। मांग घटने के चलते तेल की कीमतें बहुत कम हो गई थीं क्योंकि कोरोना महामारी के कारण दुनिया के अधिकांश देशों में लॉकडाउन लगा दिया गया था। उस समय सरकार के सामरिक भंडार भरे हुए थे और रिफाइनर जहाजों में तेल जमा करते थे।
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