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OPS vs NPS: पुरानी और नई पेंशन योजना में क्या है अंतर, जानिए Old Pension Scheme पर क्यों मची है रार

Old Pension Scheme 2004 में केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना की जगह एक अंशदान पेंशन योजना जिसे राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) कहा जाता है शुरू की थी। लेकिन बहुत से राज्य अब फिर से पुरानी पेंशन योजना को अपनाते जा रहे हैं। (जागरण फाइल फोटो)

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Tue, 17 Jan 2023 06:31 PM (IST)
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Old and New Pension Scheme, know all details about OPS and NPS

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Old Pension Scheme: देश में पुरानी पेंशन योजना का मामला एक बार फिर गरमा गया है। रिजर्व बैंक ने कुछ राज्यों द्वारा अपनाई जाने वाली पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने को लेकर आगाह किया है और कहा है कि यह उनके राजकोष के लिए एक बड़ा जोखिम पैदा कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप गैर-वित्तीय देनदारियां बढ़ती चली जाएंगी। इसके बाद फिर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है।

'राज्य वित्त: 2022-23 के बजट का एक अध्ययन' शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में आरबीआई ने राज्यों से अपील की है कि वो इस तरह की लुभावनी योजनाओं से बचें। आरबीआई की ये टिप्पणियां कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश की पृष्ठभूमि में प्रतीत होती हैं, जो महंगाई भत्ते (डीए) से जुड़ी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने वाला नवीनतम राज्य बन गया है।

इससे पहले, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस को फिर से शुरू करने के अपने फैसले के बारे में केंद्र सरकार और पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को सूचित किया था। पंजाब सरकार ने 18 नवंबर, 2022 को भी राज्य सरकार के उन कर्मचारियों के लिए ओपीएस के कार्यान्वयन के संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी, जो वर्तमान में एनपीएस के तहत कवर किए जा रहे हैं।

आरबीआई की चेतावनी

आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया हैं कि पुरानी पेंशन योजना को स्वीकार करने से ढेर सारी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। इस कदम से राजकोषीय संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ेगा और राज्यों की बचत पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वर्तमान खर्चों को भविष्य के लिए स्थगित करके राज्य आने वाले वर्षों के लिए बहुत बड़ा जोखिम उठा रहे हैं। इससे उनकी पेंशन देनदारियां बढ़ती जाएंगी।

पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को निर्धारित पेंशन मिलती है। इसके तहत, कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत राशि पाने का हकदार होता है। इसके उलट पेंशन राशि राष्ट्रीय पेंशन योजना अंशदायी है, जो 2004 से प्रभावी है। कई अर्थशास्त्रियों ने भी ओपीएस की ओर लौटने पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ेगा। योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने हाल ही में ओपीएस को वापस लाने के खिलाफ बोलते हुए कहा था कि यह मुफ्त में बनती जाने वाली सबसे बड़ी 'रेवड़ियों' में से एक है।

नई और पुरानी पेंशन योजना में क्या है अंतर

नई और पुरानी, दोनों पेंशन के कुछ फायदे और नुकसान हैं। पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। पुरानी स्‍कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है।

पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है।

पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को DA डीए दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है।

सरकारी खजाने पर बोझ

पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ पड़ता है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कटौती नहीं होती और पूरा बोझ ट्रेजरी पर डाला जाता था। जाहिर है, सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने में राजकोष पर अधिक बोझ पड़ता होगा।

नई पेंशन स्कीम में क्या है खास

NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।

दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है।

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