Old vs New Tax Regime: नई टैक्स रिजीम है फायदे का सौदा? कैसे होगी 7.5 लाख तक आय फ्री
Old vs New Tax Regime बजट 2023 में सरकार की ओर से नई टैक्स रिजीम के तहत नए स्लैब का ऐलान किया गया है। इसके साथ टैक्स छूट की सीमा को भी बढ़ाया गया है। आइए जानते हैं दोनों टैक्स रिजीम में से आपके लिए कौन-सी बेहतर है। (जागरण ग्राफिक्स)
By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Sun, 05 Feb 2023 12:45 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Old vs New Tax Regime: बजट 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई टैक्स रिजीम में सात लाख रुपये तक की आय को टैक्स छूट के दायरे में लाने का ऐलान किया गया है। इसके साथ ही अब स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction 2023) का लाभ नई टैक्स रिजीम में भी दिया जा रहा है। इस बड़े बदलाव के बाद लोगों में कन्फ्यूजन बना हुआ है कि उनके लिए पुरानी टैक्स रिजीम अच्छी या फिर नई टैक्स रिजीम। आइए जानते हैं।
पुरानी टैक्स रिजीम का फायदा (Old Tax Regime Benefits)
अगर आप इनकम टैक्स बचाने के लिए छूट का लाभ लेते हैं, तो आपके लिए पुरानी टैक्स आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। इसमें धारा 80C के तहत बचत पर 1.50 लाख रुपये की, होम लोन पर लगने वाली ब्याज पर धारा 24B के तहत 2 लाख रुपये और धारा 80D में हेल्थ इंश्योरेंस पर 25,000 रुपये की छूट करदाता को मिलती है। वहीं, 50,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलती है।
नई टैक्स रिजीम का फायदा (New Tax Regime Benefits)
सरकार की ओर से नई टैक्स रिजीम के जरिए कर व्यवस्था को सरल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस कारण स्टैंडर्ड डिडक्शन के अलावा सात लाख रुपये तक की आय को इसमें टैक्स फ्री रखा गया है। हालांकि, इसमें किसी तरह की छूट का दावा करदाता नहीं कर सकता है। वहीं, अगर आपकी आय पांच करोड़ रुपये है, तो फिर पुरानी टैक्स रिजीम के मुकाबले नई में आपको अधिक फायदा होगा,क्योंकि इसमें सरचार्ज कम कर 25 प्रतिशत कर दिया है।
नई टैक्स रिजीम में छूट (New Tax Regime Deductions)
नई टैक्स में बचत योजनाओं में निवेश करने पर कोई छूट नहीं है, लेकिन इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन को मिलाकर 7.5 लाख रुपये की आय पर कोई टैक्स नहीं है। वहीं, पुरानी टैक्स रिजीम में आपको 5 लाख रुपये से अधिक की आय पर ही टैक्स भरना पड़ेगा।नई टैक्स रिजीम के स्लैब (New Tax Regime Slabs 2023-24)
- 3 से 6 लाख - 5 प्रतिशत
- 6 से 9 लाख- 10 प्रतिशत
- 9 से 12 लाख - 15 प्रतिशत
- 12 से 15 लाख - 20 प्रतिशत
- 15 लाख से ज्यादा - 30 प्रतिशत