'वन चाइल्ड पॉलिसी' लाने वाला चीन अब क्यों लगा रहा आबादी बढ़ाने की गुहार?
चीन ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए 1979 में वन चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी। इसमें एक से अधिक बच्चा पैदा करने पर सख्त रोक थी। इससे चीन की आबादी नियंत्रित हुई और आर्थिक तरक्की की रफ्तार भी बढ़ी। लेकिन वन चाइल्ड पॉलिसी के दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं। चीन में बुजुर्गों की तादाद तेजी से बढ़ रही है और श्रम बल लगातार घट रहा है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। चीन 1970 के दशक में लगातार बढ़ती आबादी से जूझ रहा था। उसके नीति-निर्माताओं ने जनसंख्या वृद्धि दर को घटाने और संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए 'वन चाइल्ड पॉलिसी' (One Child Policy) पॉलिसी लागू की, वो भी काफी सख्ती से। इसमें सभी परिवारों को सिर्फ एक बच्चा पैदा करने की इजाजत थी। दूसरा बच्चा कुछ खास परिस्थितियों में पैदा किया जा सकता था। जैसे कि किसी ग्रामीण परिवार में पहला बच्चा लड़की हो गई या फिर पहला बच्चा दिव्यांग हो गया।
इस नियम को काफी सख्ती से लागू किया गया। जो परिवार 'वन चाइल्ड पॉलिसी' का उल्लंघन करता, उसका एक तरह से आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार हो जाता था। जैसे कि आय का 3 से 10 गुना जुर्माना, सरकारी नौकरी से बर्खास्तगी, शिक्षा-स्वास्थ्य समेत कई अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित करना। साथ ही, दूसरे बच्चे का स्कूल में दाखिला भी नहीं होता और वह सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रहता। कुछ मामलों में तो दंपति को जेल भेजने तक का भी प्रावधान था।
इससे जनसंख्या नियंत्रण और आर्थिक तरक्की के मोर्चे पर चीन को काफी फायदा हुआ। उसकी आबादी बढ़ने की रफ्तार कम हुई और इकोनॉमी सरपट दौड़ने लगी। चीन 1970 के दशक में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, जो अब दूसरे नंबर पर आ गया है। वह 2030 तक अमेरिका को पीछे छोड़कर पहले नंबर पर भी पहुंच सकता है, लेकिन इसमें एक मसला है। उसकी जनसंख्या नियंत्रण वाली पॉलिसी ही उसके लिए अब मुसीबत बन गई है।
वन चाइल्ड पॉलिसी से क्या नुकसान हुआ?
वन चाइल्ड पॉलिसी से आबादी तो नियंत्रित हुई और जीडीपी ग्रोथ भी बढ़ी, लेकिन कई तरह के असंतुलन पैदा हो गए। जैसे कि लिंग अनुपात असंतुलित हो गया, क्योंकि लोग लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक वरीयता देने लगे। बेटों की चाह में गर्भपात (Abortion) और शिशुहत्या के मामले भी काफी तेजी से बढ़े।
बुजुर्गों की देखभाल की भी समस्या होने लगी, क्योंकि एक बच्चे के लिए कामकाज के साथ माता-पिता का ध्यान रखना मुश्किल हो गया। इससे अवसाद और अकेलापन जैसी मानसिक समस्याएं भी बढ़ने लगीं। लेकिन, सबसे बुरा असर अर्थव्यवस्था पर हुआ, जिसे बढ़ाने के लिए वन चाइल्ड पॉलिसी लाई गई थी।एक ही बच्चे की नीति से चीन में बुजुर्गों की आबादी काफी तेजी से बढ़ी, लेकिन लेबर फोर्स में उनकी भरपाई के लिए उस रफ्तार से युवा आबादी तैयार नहीं हो पाई। इससे अर्थव्यवस्था रफ्तार सुस्त पड़ने लगी। लिहाजा, चीन सरकार ने 2016 में वन चाइल्ड पॉलिसी में ढील दी और दो बच्चे पैदा करने की इजाजत दे दी। 2021 में इसे और भी उदार करके तीन बच्चे पैदा करने की छूट दे दी गई।