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'वन चाइल्ड पॉलिसी' लाने वाला चीन अब क्यों लगा रहा आबादी बढ़ाने की गुहार?

चीन ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए 1979 में वन चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी। इसमें एक से अधिक बच्चा पैदा करने पर सख्त रोक थी। इससे चीन की आबादी नियंत्रित हुई और आर्थिक तरक्की की रफ्तार भी बढ़ी। लेकिन वन चाइल्ड पॉलिसी के दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं। चीन में बुजुर्गों की तादाद तेजी से बढ़ रही है और श्रम बल लगातार घट रहा है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 13 Sep 2024 02:52 PM (IST)
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चीन सरकार ने 2016 में वन चाइल्ड पॉलिसी में ढील दी।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। चीन 1970 के दशक में लगातार बढ़ती आबादी से जूझ रहा था। उसके नीति-निर्माताओं ने जनसंख्या वृद्धि दर को घटाने और संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए 'वन चाइल्ड पॉलिसी' (One Child Policy) पॉलिसी लागू की, वो भी काफी सख्ती से। इसमें सभी परिवारों को सिर्फ एक बच्चा पैदा करने की इजाजत थी। दूसरा बच्चा कुछ खास परिस्थितियों में पैदा किया जा सकता था। जैसे कि किसी ग्रामीण परिवार में पहला बच्चा लड़की हो गई या फिर पहला बच्चा दिव्यांग हो गया।

इस नियम को काफी सख्ती से लागू किया गया। जो परिवार 'वन चाइल्ड पॉलिसी' का उल्लंघन करता, उसका एक तरह से आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार हो जाता था। जैसे कि आय का 3 से 10 गुना जुर्माना, सरकारी नौकरी से बर्खास्तगी, शिक्षा-स्वास्थ्य समेत कई अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित करना। साथ ही, दूसरे बच्चे का स्कूल में दाखिला भी नहीं होता और वह सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रहता। कुछ मामलों में तो दंपति को जेल भेजने तक का भी प्रावधान था।

इससे जनसंख्या नियंत्रण और आर्थिक तरक्की के मोर्चे पर चीन को काफी फायदा हुआ। उसकी आबादी बढ़ने की रफ्तार कम हुई और इकोनॉमी सरपट दौड़ने लगी। चीन 1970 के दशक में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, जो अब दूसरे नंबर पर आ गया है। वह 2030 तक अमेरिका को पीछे छोड़कर पहले नंबर पर भी पहुंच सकता है, लेकिन इसमें एक मसला है। उसकी जनसंख्या नियंत्रण वाली पॉलिसी ही उसके लिए अब मुसीबत बन गई है।

वन चाइल्ड पॉलिसी से क्या नुकसान हुआ?

वन चाइल्ड पॉलिसी से आबादी तो नियंत्रित हुई और जीडीपी ग्रोथ भी बढ़ी, लेकिन कई तरह के असंतुलन पैदा हो गए। जैसे कि लिंग अनुपात असंतुलित हो गया, क्योंकि लोग लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक वरीयता देने लगे। बेटों की चाह में गर्भपात (Abortion) और शिशुहत्या के मामले भी काफी तेजी से बढ़े।

बुजुर्गों की देखभाल की भी समस्या होने लगी, क्योंकि एक बच्चे के लिए कामकाज के साथ माता-पिता का ध्यान रखना मुश्किल हो गया। इससे अवसाद और अकेलापन जैसी मानसिक समस्याएं भी बढ़ने लगीं। लेकिन, सबसे बुरा असर अर्थव्यवस्था पर हुआ, जिसे बढ़ाने के लिए वन चाइल्ड पॉलिसी लाई गई थी।

एक ही बच्चे की नीति से चीन में बुजुर्गों की आबादी काफी तेजी से बढ़ी, लेकिन लेबर फोर्स में उनकी भरपाई के लिए उस रफ्तार से युवा आबादी तैयार नहीं हो पाई। इससे अर्थव्यवस्था रफ्तार सुस्त पड़ने लगी। लिहाजा, चीन सरकार ने 2016 में वन चाइल्ड पॉलिसी में ढील दी और दो बच्चे पैदा करने की इजाजत दे दी। 2021 में इसे और भी उदार करके तीन बच्चे पैदा करने की छूट दे दी गई।

चाइनीज गवर्नमेंट की टेंशन क्यों बढ़ रही?

अब चीन की युवा पीढ़ी शादी और बच्चे पैदा करने में काफी कम दिलचस्पी ले रही है। यह चीनी सरकार की चिंता बढ़ा रहा है, क्योंकि इससे देश में काम करने लायक आबादी की कमी बढ़ जाएगी। इसलिए वह आर्थिक सहायता और टैक्स छूट जैसे प्रोत्साहन के जरिए आबादी बढ़ाने के प्रयास कर रही है।

चाइना अकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज ने 2019 में एक स्टडी की थी। इसमें देश की कम होती श्रम शक्ति और बूढ़ी आबादी को लेकर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट का कहना था कि इस सदी के मध्य यानी 2050 तक चीन की आबादी घटकर 1 अरब 36 करोड़ हो जाएगी। लेकिन, श्रम शक्ति गिरकर 20 करोड़ ही रह जाएगी। इसका मतलब है कि चीन की करीब डेढ़ अरब की आबादी सिर्फ 20 करोड़ लोगों के भरोसे रहेगी।

चीन रिटायरमेंट की उम्र सीमा भी बढ़ाई

चीन में युवा श्रम की तंगी का आलम आप इस बात से समझ सकते हैं कि वहां की सरकार ने कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का फैसला किया है। ड्रैगन ने यह फैसला घटती आबादी और कर्मचारियों की बढ़ती उम्र को देखते हुए लिया है। नई रिटायरमेंट पॉलिसी अगले साल 1 जनवरी से लागू होगी।

नई पॉलिसी में पुरुषों के लिए रिटायरमेंट एज लिमिट को 60 साल से बढ़ाकर 63 साल किया जाएगा। वहीं, ऑफिस वर्क करने वाली महिलाएं 55 साल के बजाय 58 साल में रिटायर होंगी। फैक्ट्री, कंस्ट्रक्शन या माइनिंग जैसे काम करने वाली महिलाओं को 50 साल की जगह 55 साल में रिटायरमेंट मिलेगा। ये पॉलिसी अगले 15 साल तक लागू रहेगी।

चीन में पेंशन लेने वाली आबादी 30 करोड़ के पार पहुंच गई है। इससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ रहा है। चीनी हुकूमत का मानना है कि अब कर्मचारियों को पैसा पेंशन की बजाय कुछ साल तक वेतन के रूप में दिया जाए, ताकि उनसे इसके बदले काम भी लिया जा सके।

ज्यादा बच्चे क्यों नहीं चाहते चीनी लोग?

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन (NHC) अब 'उचित उम्र' में शादी और बच्चे पैदा करने की वकालत करेगा। इससे देश में "विवाह और बच्चे पैदा करने की नई संस्कृति" को बढ़ावा मिलेगा। चीनी कानून के अनुसार, पुरुष 22 और महिलाएं 20 साल की उम्र के बाद ही शादी कर सकती हैं। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब चीन 2023 में लगातार दूसरे साल जन्म दर में रिकॉर्ड गिरावट के बाद ज्यादातर महिलाओं को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहा है।

दरअसल, कई चीनी महिलाएं बच्चे पैदा करने से परहेज कर रही हैं। इसकी कई वजहें हैं। इनमें एक तो उनके मन में पुरानी यादों की दहशत है कि किस तरह से वन चाइल्ड पॉलिसी का उल्लंघन करने वालों को बर्बरता से कुचला जाता था। साथ ही, बच्चों की देखभाल और पढ़ाई काफी महंगी हो गई है। उनके पालन-पोषण के लिए महिलाओं को करियर से भी समझौता करना पड़ सकता है। ज्यादातर कपल को परवरिश के लिहाज से एक बच्चा पैदा करना ज्यादा सही लगता है। इस वजह से भी वे ज्यादा बच्चे पैदा करने से परहेज कर रहे हैं।

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