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6.5 प्रतिशत की वृद्धि के लिए सालाना एक करोड़ नई नौकरियों का करना होगा सृजन- Goldman Sachs

रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैक्स () की रिपोर्ट के अनुसार भारत को सालाना 6.5 प्रतिशत की औसत जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) वृद्धि बनाए रखने के लिए सालाना एक करोड़ नौकरियों का सृजन करना होगा। इसके अलावा कपड़ा खाद्य प्रसंस्करण और फर्नीचर जैसे श्रम आधारित सेक्टर को अधिक राजकोषीय प्रोत्साहन देने से निम्न से मध्यम कौशल वाले श्रमिकों के लिए रोजगार सृजन में सुविधा होगा।

By Agency Edited By: Priyanka Kumari Updated: Sat, 02 Nov 2024 06:09 PM (IST)
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सालना एक करोड़ नौकरियों का करना होगा सृजन
एएनआई, नई दिल्ली। भारत को सालाना 6.5 प्रतिशत की औसत जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) वृद्धि बनाए रखने के लिए वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2029-30 तक हर साल लगभग एक करोड़ नई नौकरियों का सृजन करना होगा। गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किफायती घरों के निर्माण को प्रोत्साहित करने से रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह निर्माण के क्षेत्र में 80 प्रतिशत से अधिक श्रम बल को रोजगार प्रदान करता है।

इसके अलावा यह विभिन्न कौशल स्तरों में रोजगार सृजन को भी महत्वपूर्ण बढ़ावा देगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में आइटी हब और छोटे शहरों में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) स्थापित करने से टियर-1 शहरी केंद्रों पर दबाव कम होगा और कम सेवा वाले क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और फर्नीचर जैसे श्रम आधारित सेक्टर को अधिक राजकोषीय प्रोत्साहन देने से निम्न से मध्यम कौशल वाले श्रमिकों के लिए रोजगार सृजन में सुविधा होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं ने मुख्य रूप से उन उद्योगों को लाभान्वित किया है, जहां पर अधिक पूंजी की जरूरत होती है।

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दो दशकों में 19.6 करोड़ नौकरियों का सृजन

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों के दौरान भारत में लगभग 19.6 करोड़ नौकरियों का सृजन हुआ है और इनमें से दो-तिहाई पद पिछले एक दशक में सृजित हुए हैं। इस दौरान एक महत्वपूर्ण बदलाव यह हुआ है कि कृषि से निकलकर लोग निर्माण और सर्विस सेक्टर में गए हैं।

भारत में निर्माण रोजगार का प्राथमिक चालक बना हुआ है और कुल रोजगार का 13 प्रतिशत इस क्षेत्र से आता है। रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे में निवेश ने न केवल नौकरियां पैदा की हैं, बल्कि निम्न-से-मध्यम आय वाले परिवारों में आय के स्तर को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।

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