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ई-मोबिलिटी पर ओएनजीसी-एनटीपीसी गठजोड़ की नजर, भारत में इस उद्योग की संभावनाएं अधिक

भारत में बिजली के साथ परिवहन प्रदान करना अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है लेकिन भारत जैसे देश में जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है इस नए उद्योग की संभावना बहुत अधिक मानी जाती है। हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र की दो प्रमुख बिजली कंपनियों ओएनजीसी और एनटीपीसी ने भी केंद्र सरकार की नई रणनीति ई-मोबिलिटी पर चर्चा शुरू कर दी है।

By Jagran NewsEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 04 Oct 2023 10:37 PM (IST)
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ओएनजीसी और एनटीपीसी भी ई-मोबिलिटी को लेकर विमर्श शुरू किया गया है जो केंद्र सरकार की नई रणनीति है।

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली: ई-मोबिलिटी यानी बिजली के जरिए यातायात साधन उपलब्ध कराने का उद्योग भारत में अभी शैशवास्था में है लेकिन माना जा रहा है कि दुनिया की सबसे तेज गति से आर्थिक प्रगति कर रहे भारत जैसे देश में इस नये उद्योग की संभावनाएं काफी ज्यादा है।

ओएनजीसी और एनटीपीसी ने ई-मोबिलिटी को लेकर विमर्श शुरू

हाल ही में सरकारी क्षेत्र में ऊर्जा सेक्टर की दो दिग्गज कंपनियां ओएनजीसी और एनटीपीसी भी ई-मोबिलिटी को लेकर विमर्श शुरू किया गया है जो केंद्र सरकार की नई रणनीति है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत काम करने वाली देश की सबसे बड़ी क्रूड उत्पादक कंपनी ओएनजीसी और बिजली मंत्रालय के तहत काम करने वाली देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी के बीच किया गया गठजोड़ सरकार की ई-मोबिलिटी में घरेलू कंपनियों को आगे ले जाने की शुरुआती कोशिश है।

दैनिक जागरण ने की खास बातचीत

इस बारे में दैनिक जागरण ने सरकारी अधिकारियों के साथ ही ओएनीजीसी और एनटीपीसी से भी बात की है जिससे इस बात का पता चलता है कि रिनीवेबल सेक्टर के साथ ही ई-मोबिलिटी इन दोनों कंपनियों के बीच सहयोग में प्राथमिकता के तौर पर होगा।

सरकारी सूत्रों ने बताया है कि ई-मोबिलिटी में ओएनजीसी व एनटीपीसी के बीच सहयोग को लेकर वार्ता अभी बहुत ही शुरुआती स्तर पर है लेकिन दोनो कंपनियां मानती हैं कि यह उनके लिए काफी संभावनाओं वाला उद्योग हो सकता है।

भविष्य में रिनीवेबल सेक्टर और ई-मोबिलिटी बहुत हद तक एक दूसरे से जुड़ा हुआ होगा। निजी सेक्टर की बहुत सारी कंपनियां इन दोनो सेक्टरों में काम कर रही हैं लेकिन ओएनजीसी व एनटीपीसी के बीच इस क्षेत्र में किया जाना वाले गठबंधन देश की रणनीतिक जरूरत के हिसाब से सही है।

ग्रीन हाइड्रोजन से ई-मोबिलिटी क्षेत्र में उतरना आसान

रिनीवेबल सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया उत्पादन के साथ ही पावर स्टोरेज, कार्बन क्रेडिट्स और ग्रीन क्रेडिट्स के अलावा ई-मोबिलिटी क्षेत्र में उतरना आसान होगा।

सरकार का मानना है कि इन सेक्टरों मे ओएनजीसी और एनटीपीसी के बीच सहयोग से देश में तकनीकी व आर्थिक तौर पर एक सशक्त कंपनी का गठन हो सकता है। वैसे भी ओएनजीसी वर्ष 2030 तक आफशोर (समुद्री सीमा के भीतर) सोलर विंड इनर्जी से 10 हजार मेगावाट बिजली बनाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है जबकि एनटीपीसी ने रिनीवेबल सेक्टर के लिए अलग से एक सब्सिडियरी बना दी है।

60 हजार मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य

एनटीपीसी ग्रीन नाम की यह कंपनी वर्ष 2032 तक रिनीवेबल ऊर्जा से 60 हजार मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखे हुए है। ई-मोबिलिटी को लेकर सिर्फ ये दो ऊर्जा कंपनियां ही उत्साहित नहीं है बल्कि हाल ही में देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम मार्के¨टग व रिफाइ¨नग कंपनी आइओसीएल की नजर भी इस बाजार पर है।

हाल ही में आइओसीएल ने देश में पहला हाइड्रोजन सेल से चलने वाली बस का प्रदर्शन किया है। हाइड्रोजन फ्यूल सेल को भविष्य में इलेक्टि्रक वाहनों के विकल्प के तौर पर भी देखा जा रहा है। वैसे आइओसीएल अब ई-मोबिलिटी से जुड़े कई क्षेत्रों में धीरे धीरे उतरने जा रही है।

जून, 2023 में कंपनी ने बताया था कि उसके 5500 पेट्रोल पंपों पर इलेक्टि्रक कारों को चार्ज करने की सुविधा उपलब्ध है। कंपनी की योजना अपने अधिकांश पेट्रोल पंपों पर ई-वाहनों को चार्ज करने की सुविधा देने की है।