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Onion Export: प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटा; किसानों के लिए फायदे की बात, पर घरेलू बाजार में कीमतों पर क्या होगा असर?

सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है। यह फैसला मौजूदा सीजन में प्याज की अच्छी पैदावार की संभावना को देखते हुए किया गया है। इस फैसले से देश में प्याज किसानों की आय में बढ़ोतरी होने की बात कही गई है। आइए जानते हैं कि सरकार ने प्याज के निर्यात का फैसला क्यों किया और इसका घरेलू बाजार पर क्या असर होगा।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 04 May 2024 07:17 PM (IST)
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भारत में प्याज की औसतन मांग 17 लाख टन प्रति महीने है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को 04 मई, 2024 से हटाने का फैसला किया है। यह फैसला देश में प्याज के मौजूदा रबी पैदावार के अच्छे होने और बेहतर मानसून की वजह से खरीफ के दौरान भी बढि़या पैदावार की संभावना को देखते हुए किया गया है। प्याज निर्यात की न्यूनतम कीमत 550 डॉलर प्रति टन तय की गई है। इस फैसले की वजह से देश में प्याज की पैदावार करने वाले किसानों की आय में बढ़ोतरी होने की बात कही गई है।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के इस फैसले का असर महाराष्ट्र जैसे प्याज पैदावार करने वाले राज्यों के चुनावी नतीजों पर भी हो सकता है। महाराष्ट्र की शिव सेना यूबीटी की तरफ से प्याज निर्यात पर लगे रोक को मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही थी और इसके लिए पार्टी केंद्र सरकार की नीतियों पर दोषी करार दे रही है।

कितना होगा निर्यात वाली प्याज का दाम?

केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि प्याज निर्यात की कीमत 550 डॉलर प्रति टन (तकरीबन 46 रुपये प्रति किलो) होगी और इस पर 40 फीसद का निर्यात शुल्क भी लगेगा। इस आधार पर निर्यातित प्याज की पूरी कीमत 770 डॉलर प्रति टन (64 रुपये प्रति टन) के करीब होगी। अभी दुनिया के कई हिस्सों में प्याज की खपत प्रभावित हुई है और माना जा रहा है कि भारत के प्याज निर्यातकों को बड़े ऑर्डर मिलेंगे।

कुछ पड़ोसी देश भी भारत से प्याज का आयात बड़ी मात्रा में करने को तैयार हैं क्योंकि अभी उनको दूर दराज के देशों से प्याज खरीदनी पड़ रही है। अभी निर्यात प्रतिबंधित होने के बावजूद बांग्लादेश, भूटान, यूएई, श्रीलंका आदि को कुछ मात्रा में प्याज की आपूर्ति की गई है।

प्याज के निर्यात पर कब लगा था बैन?

08 दिसंबर, 2023 में केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष के खरीफ पैदावार की स्थिति को देखते हुए प्याज निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था। इसका असर घरेलू बाजार में खास तौर पर दिखा है। इस दौरान देश में प्याज की कीमतें अमूमन स्थिर रही हैं।

अप्रैल में देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक में प्याज की औसतन कीमत 15 रुपये प्रति किलो रही है। निर्यात प्रतिबंधित किये जाने से पहले भारत लगातार इसका एक बड़ा निर्यातक रहा है। पिछले पांच-सात वर्षों के दौरान भारत ने औसतन 17 से 25 लाख टन प्याज का निर्यात सालाना किया है।

घरेलू बाजार में बढ़ेगा प्याज का भाव?

प्याज निर्यात पर लगे प्रतिबंध के बारे में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने बताया कि, “निर्यात होने के बावजूद प्याज की घरेलू कीमतों पर कोई खास असर नहीं होगा। अगर कीमतें बढ़ेंगी भी तो वह खास नहीं बढ़ेंगी। सरकार के विभाग भी पूरी स्थिति पर नजर बना कर रखेंगे। सरकार किसानों के साथ ही उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।''

उन्होंने बताया कि रबी फसल के दौरान 191 लाख टन प्याज उत्पादन होने की उम्मीद है जो देश की मांग को देखते हुए पर्याप्त है। देश में प्याज की औसतन मांग 17 लाख टन प्रति महीने है। इसके अलावा सरकार की तरफ से पांच लाख टन प्याज की खरीद बफर स्टाक के तौर पर की जा रही है ताकि किसी आपातकालीन स्थिति में घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर किया जा सके।

लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा ?

डीजीएफटी ने शनिवार को प्याज निर्यात की छूट दी जबकि वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को देर शाम प्याज निर्यात से 40 फीसद निर्यात शुल्क वसूलने को लेकर अधिसूचना जारी की थी। सरकार के इस फैसले को आम चुनाव, खास तौर पर महाराष्ट्र में लोकसभा सीटों के चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है।

नासिक, अहमदनगर, शोलापुर जैसे प्याज उत्पादक राज्यों में किसानों की तरफ से लगातार रैली निकाली जा रही थी कि प्याज निर्यात की छूट दी जाए। इसको शिव सेना यूबीटी लगातार समर्थन कर रही थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है।

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