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टैक्स के बोझ से सहमा ऑनलाइन गेमिंग उद्योग, सरकार के सामने फिर रखी बोझ कम करने की मांग

हाल ही में GST के झटके के बाद उद्योग को अब कई कर नोटिस दिए जा रहे है और रु. 100000 करोड़ इतना इसका संचयी मूल्य आंका गया है। इस उद्योग को मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों के पोस्टर चाइल्ड के रूप में पहले आंका गए था और कई लोग इसे इस उद्योग के लिए आगे का रास्ता बंद होने रूप में देख रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Rammohan MishraUpdated: Fri, 06 Oct 2023 08:06 PM (IST)
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ऑनलाइन गेमिंग उद्योग ने सरकार से GST में कटौती की मांग की है।
ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। ऑनलाइन गेमिंग उद्योग लगातार तूफान के घेरे में है। हाल ही में GST के झटके के बाद उद्योग को अब कई कर नोटिस दिए जा रहे है और रु. 100,000 करोड़ इतना इसका संचयी मूल्य आंका गया है। यह इस क्षेत्र के वास्तविक राजस्व को कई गुना पार कर देता है।

इस उद्योग को "मेक इन इंडिया" और "डिजिटल इंडिया" कार्यक्रमों के पोस्टर चाइल्ड के रूप में पहले आंका गए था और कई लोग इसे इस उद्योग के लिए आगे का रास्ता बंद होने रूप में देख रहे हैं। क्या कर (टैक्स) नोटिस उचित है? यहाँ उसी के संदर्भ में एक गहरी सोच प्रस्तुत है।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग के कराधान का इतिहास

भारतीय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग 15 साल पुराना है। GST लागू करने से पहले, भारत ने एक अलग ही अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था का स्वीकार किया था और यह ऑनलाइन गेमिंग सेवा कर शासन के तहत था जहां ऑनलाइन सूचना डेटा प्रवेश या पुनर्प्राप्ति (OIDAR) सेवा के रूप में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर कर लागू किया जा रहा था।

सेवा कर व्यवस्था के तहत, गेमिंग प्लेटफार्मों को दांव, जुआ और सट्टेबाजी से अलग माना जाता था और आईटी / आईटीईएस श्रेणी के तहत पंजीकृत किया गया था और उनके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के लिए खिलाड़ियों से लिए जाने वाले प्लेटफॉर्म शुल्क पर कर का भुगतान किया जाता था जो की कुल गेमिंग राजस्व के रूप में जाना जाता है। उपयोगकर्ताओं को वितरित किया जाने वाला प्राइज पूल कराधान के दायरे से बाहर था। दूसरी ओर सेवा कर के दायरे से दांव / जुआ को बाहर रखा गया था और उन्हें राज्य कानून के दायरे में रखा गया।

जैसा कि भारत ने 2017 में नई GST व्यवस्था में संक्रमण किया, ऑनलाइन कौशल गेमिंग कंपनियों के व्यवसाय मॉडल समान रहे और दांव, सट्टेबाजी और जुआ सेवाओं से अलग रहे। इसलिए उन्होंने उपयोगकर्ताओं के लिए कौशल के खेल को सुविधाजनक बनाने के लिए उनके द्वारा लगाए गए शुल्क – यानी GGR पर करों का भुगतान करना जारी रखा।

अगस्त 2023 में, सरकार ने कानून में संशोधन किया और 01 अक्टूबर, 2023 को प्रभावी बनाने के इरादे से ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को जमा के कुल मूल्य पर 28% का भुगतान करना होगा, ऐसी घोषणा कर दी। अब विशेष रूप से उपरोक्त विकास के प्रकाश में DGGI ने बकाया राशि की पिछली वसूली करने हेतु गेमिंग कंपनियों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है और यह नीचे दिए गए मुद्दों को उठाता है:

प्रतियोगिता प्रवेश राशि को "माल" के मूल्य के रूप में नहीं माना जा सकता - 51 वीं GST कौन्सिल की बैठक में लिए गए निर्णय के बाद, कौन्सिल ने कानून में संशोधन किया ताकि ऑनलाइन गेमिंग के लिए कर योग्य वस्तुओं के रूप में कार्रवाई योग्य दावों को शामिल किया जा सके। इसलिए इसका स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि इसे पहले बाहर रखा गया था और सिर्फ GGR कर लागू किया जाता था। यह अनुचित है कि प्रतियोगिता प्रवेश राशि को केवल पूर्वव्यापी कराधान के उद्देश्य से पूर्ण 'माल' के रूप में माना जाए।

“कौशल के खेल (गेम्स ऑफ स्किल)” या “मौके के खेल (गेम्स ऑफ चांस)” के बीच कोई अंतर नहीं करना - ऑनलाइन गेमिंग और जुआ, दांव, सट्टेबाजी के बीच पिछले कर शासन के तहत स्पष्ट अंतर हुआ करता था। एक OIDAR सेवा के रूप में ऑनलाइन गेमिंग पर स्पष्ट रूप से कर लागू किया जा रहा था, जबकि दांव, सट्टेबाजी और जुआ को राज्य विधान बना रहें थे। इसे देखते हुए 'कौशल के खेल' और 'मौके के खेल' में अंतर नहीं करना ऐतिहासिक परंपरा के खिलाफ जाता है। कानूनी और तथ्यात्मक रूप से, न्यायशास्त्र ऐसा स्थापित हो गया है कि पैसे के लिए खेले जाने या अन्यथा खेले जाने की परवाह किए बिना कौशल के खेल दांव, जुआ और सट्टेबाजी नहीं है और कौशल के खेल में केवल साइड- बेटिंग करना दांव / सट्टेबाजी / जुआ का स्वरूप माना जाएगा।

कौशल के खेल की कानूनी स्थिति को अनदेखा करना - विभिन्न उच्च न्यायालयों और माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने समय-समय पर इस बात का समर्थन किया है कि काल्पनिक (फैंटसी) खेल और ऑनलाइन रम्मी यह खेल दांव / सट्टेबाजी / जुआ न होकर कौशल प्रभावी खेल है। दांव / सट्टेबाजी / जुआ के समान ऑनलाइन गेमिंग के ऐसे प्रारूपों की कोई गलत धारणा को MeitY की नोडल मंत्रालय के रूप में नियुक्ति के साथ शांत कर दिया गया है और प्रतीक्षा किया जा रहा SRB प्रमाणन इसे अधिक समर्थन देगा। इसके साथ, सट्टेबाजी और जुए जैसे ऑनलाइन गेमिंग पर कर लगाना यह, असमान लोगों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा सकता।

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग ने GST नीतियों में गिनाईं खामियां

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए GST कानूनों में संशोधन करने में छह साल की देरी क्यों हुई है, ऐसा सवाल DGGI द्वारा जारी किए हुए विभिन्न नोटिसों में भी उठाया गया है। उद्योग इसका अनुपालन कर रहा था और सेवा कर व्यवस्था के तहत अनिवार्य GGR पर कर का भुगतान कर रहा था। GST कानून के तहत भी, (ऑनलाइन गेमिंग दांव, जुआ और सट्टेबाजी से अलग थे), यह स्पष्ट था कि GGR पर 18% का भुगतान करने के लिए ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म विवश था। ऑनलाइन गेमिंग के लिए GST कानूनों पर फिर से विचार करने के लिए गठित किए गए GOM ने तीन साल तक इस मामले पर विचार-विमर्श किया और इससे उद्योग के लिए एक तेज गति से बढ़ रहीं अनिश्चितता पैदा हो गई।

GOM की रिपोर्ट ने भी यह निष्कर्ष निकाला कि ऑनलाइन कौशल के खेल दांव, जुआ और सट्टेबाजी से अलग है और ऑनलाइन कौशल के खेलों के लिए कार्रवाई योग्य दावों पर कर लागू नहीं किया जा सकता है। अगस्त 2023 में GST कानून में संशोधन को देखते हुए, पूर्वव्यापी मांग बहुत अनुचित है और यह निवेशकों की धारणा पर गहरा प्रभाव डालने वाले एवं देश के व्यापार अनुकूल होने की छवि को प्रभावित कर सकता है।

कई मामलों में GST अधिकारियों ने जो मांगा है वह कंपनियों के हासिल किए हुए वास्तविक राजस्व के गुणक में होता है। कंपनियां इनमें से किसी भी मांग का भुगतान करेंगी, ऐसी संभावनाएं कम होती है। अनेक संख्या में मुकदमे और लंबे समय तक चलने वाले कानूनी झगड़े, इसके परिणाम के रूप में देखने को मिलेंगे और कोई भी हितधारक इससे लाभान्वित नहीं होगा। उम्मीद है कि अधिकारी मुद्दों को उचित पहचानेंगे और सभी के लिए हितकर समाधान तैयार करने की दिशा में काम करेंगे।

नोट- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।