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पूरी दुनिया में सिर्फ भारत ही रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाने को तैयार

भारत से ज्यादा रिफाइनिंग क्षमता वाले देश अमेरिका चीन व रूस विस्तार को तैयार नहीं है।भारत के पेट्रोरसायन सेक्टर में भारत को बड़ा बाजार मिलने के आसार है। इसे देखते हुए जहां पेट्रोलियम मंत्रालय मौजूदा रिफाइनिंग क्षमता 25.4 करोड़ टन सालाना से बढ़ा कर वर्ष 2030 तक 40 करोड़ टन सालाना करने की योजना बना रहा था। उसे प्रधानमंत्री ने 45 करोड़ टन सालाना करने का लक्ष्य दे दिया है।

By Jagran News Edited By: Ankita Pandey Updated: Thu, 08 Feb 2024 06:48 PM (IST)
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भारत ही रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाने को तैयार, यहां जानें डिटेल
जयप्रकाश रंजन, बेतुल (गोवा)। हर देश ग्रीन इनर्जी को अपनाने के लिए बड़ी बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम कर रहे हैं। भारत भी कर रहा है। लेकिन भारत एकमात्र ऐसा देश है जो ग्रीन हाइड्रोडन, सौर ऊर्जा, बायोगैस जैसे गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के अलावा अपनी रिफाइनिंग क्षमता भी बढ़ाने का रोडमैप तैयार कर चुका है।

हाल ही में अमेरिका व रूस बाद चीन ने भी अपनी रिफाइनिंग क्षमता को सीमित करने का फैसला किया है। ऐसे में भारत सरकार का अनुमान है कि क्षमता बढ़ने से भारत से तैयार पेट्रोलियम उत्पादों का निर्याता ना सिर्फ तेजी से बढ़ेगा बल्कि पेट्रोरसायन की आपूर्ति में भी भारत एक बड़ी शक्ति के तौर पर उभरेगा।

रिफाइनिंग क्षमता 25.4 करोड़ टन बढ़ा सालाना

इन संभावनाओं को देख कर ही जहां पेट्रोलियम मंत्रालय मौजूदा रिफाइनिंग क्षमता 25.4 करोड़ टन सालाना से बढ़ा कर वर्ष 2030 तक 40 करोड़ टन सालाना करने की योजना बना रहा था। उसे प्रधानमंत्री ने 45 करोड़ टन सालाना करने का लक्ष्य दे दिया है।

पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन का कहना है कि कच्चे तेल जैसे जीवाश्म इंधन को खत्म करने की बात तो हो रही है लेकिन यह नहीं सोचा जा रहा है कि इससे जो प्लास्टिक, सुगंध, पेंट, तरह-तरह के रसायन, कपड़े जैसे तमाम औद्योगिक व आम जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले जो उत्पाद बनाये जाते हैं उनका क्या होगा।

इन उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है क्योंकि कई देशों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। ऐसे में भारत की रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाना तर्कसंगत है। हम पहले मौजूदा रिफाइनरियों की क्षमता बढ़ाने में जुटे हैं क्योंकि यह काम शीघ्रता से हो रहा है। बरौनी, पानीपत, विशाखापत्तनम, नुमालीगढ़ समेत कई रिफाइनरियों में क्षमता विस्तार का काम चल रहा है। कुछ की क्षमता दोगुनी हो रही है। नई रिफाइनरी लगाने पर भी विचार हो रहा है।

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पेट्रो उत्पाद सबसे ज्यादा भारत की हिस्सेदारी

रिफाइनरियों में तैयार पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में भारत पहले ही एक बड़ी शक्ति के तौर पर स्थापित हो चुका है। देश के कुल निर्यात में पेट्रो निर्यात की हिस्सेदारी 2020-21 में 10 फीसद थी जो इस साल 13 फीसद रहने वाली है।

यूरोपीय देशों में पेट्रो उत्पाद सबसे ज्यादा भारत करने लगा है। अफ्रीकी देशों को पेट्रो रसायन की आपूर्ति में भारत की स्थिति मजबूत होती जा रही है। भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) के निदेशक (रिफाइनरी) संजय खन्ना का कहना है कि पेट्रोरसायन निर्यात में भारत चीन का एक मजबूत विकल्प बनता जा रहा है।

घरेलू स्तर पर भी पेट्रोरसायन की मांग भारत में काफी होगी क्योंकि इसका सीधा संपर्क प्रति व्यक्ति आय के साथ है। जैसे जैसे आय बढ़ेगी वैसे वैसे जीवन स्तर सुधरेगा और पेट्रोरसायन से बने उत्पादों की मांग बढ़ेगी। इस हिसाब से भी भारत की रिफाइनरी क्षमता बढ़ाना जरूरी है।

पेट्रोरसायन के लिए कच्चे माल का मुख्य स्त्रोत रिफाइनरियां ही होती हैं। कंपनियों का आकलन है कि भारत में पेट्रोरसायन उद्योग की क्षमता अगले दो दशकों तक सालाना 10 फीसद की रफ्तार से बढ़ती रहेगी। भारत में अभी 23 पेट्रोलियम रिफाइनरियां हैं। इनमें 18 सरकारी क्षेत्र की कंपनियों (आइओसी, बीपीसीएल, एचपीसीएल, एनआरएल, एमआरपीएल आदि) के पास है जबकि तीन निजी सेक्टर की हैं और दो संयुक्त उद्यम में हैं।

भारत के पश्चिमी तट पर एक नई ग्रीन फील्ड रिफाइनी बनाने के लिए सऊदी अरब के साथ वार्ता हो रही है। यह देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी हो सकती है जो मुख्य तौर पर यूरोपीय देशों की मांग को पूरा करने की कोशिश करेगा। इसके लिए भारत व सउदी अरब के बीच एक सुंक्त कार्य दल का गठन किया गया है। इस बड़ी रिफाइनरी के अलावा छोटी क्षमता की कुछ नई रिफाइनरियों को लगाने पर भी चर्चा हो रही है।

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