पूरी दुनिया में सिर्फ भारत ही रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाने को तैयार
भारत से ज्यादा रिफाइनिंग क्षमता वाले देश अमेरिका चीन व रूस विस्तार को तैयार नहीं है।भारत के पेट्रोरसायन सेक्टर में भारत को बड़ा बाजार मिलने के आसार है। इसे देखते हुए जहां पेट्रोलियम मंत्रालय मौजूदा रिफाइनिंग क्षमता 25.4 करोड़ टन सालाना से बढ़ा कर वर्ष 2030 तक 40 करोड़ टन सालाना करने की योजना बना रहा था। उसे प्रधानमंत्री ने 45 करोड़ टन सालाना करने का लक्ष्य दे दिया है।
जयप्रकाश रंजन, बेतुल (गोवा)। हर देश ग्रीन इनर्जी को अपनाने के लिए बड़ी बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम कर रहे हैं। भारत भी कर रहा है। लेकिन भारत एकमात्र ऐसा देश है जो ग्रीन हाइड्रोडन, सौर ऊर्जा, बायोगैस जैसे गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के अलावा अपनी रिफाइनिंग क्षमता भी बढ़ाने का रोडमैप तैयार कर चुका है।
हाल ही में अमेरिका व रूस बाद चीन ने भी अपनी रिफाइनिंग क्षमता को सीमित करने का फैसला किया है। ऐसे में भारत सरकार का अनुमान है कि क्षमता बढ़ने से भारत से तैयार पेट्रोलियम उत्पादों का निर्याता ना सिर्फ तेजी से बढ़ेगा बल्कि पेट्रोरसायन की आपूर्ति में भी भारत एक बड़ी शक्ति के तौर पर उभरेगा।
रिफाइनिंग क्षमता 25.4 करोड़ टन बढ़ा सालाना
इन संभावनाओं को देख कर ही जहां पेट्रोलियम मंत्रालय मौजूदा रिफाइनिंग क्षमता 25.4 करोड़ टन सालाना से बढ़ा कर वर्ष 2030 तक 40 करोड़ टन सालाना करने की योजना बना रहा था। उसे प्रधानमंत्री ने 45 करोड़ टन सालाना करने का लक्ष्य दे दिया है।पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन का कहना है कि कच्चे तेल जैसे जीवाश्म इंधन को खत्म करने की बात तो हो रही है लेकिन यह नहीं सोचा जा रहा है कि इससे जो प्लास्टिक, सुगंध, पेंट, तरह-तरह के रसायन, कपड़े जैसे तमाम औद्योगिक व आम जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले जो उत्पाद बनाये जाते हैं उनका क्या होगा।
इन उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है क्योंकि कई देशों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। ऐसे में भारत की रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाना तर्कसंगत है। हम पहले मौजूदा रिफाइनरियों की क्षमता बढ़ाने में जुटे हैं क्योंकि यह काम शीघ्रता से हो रहा है। बरौनी, पानीपत, विशाखापत्तनम, नुमालीगढ़ समेत कई रिफाइनरियों में क्षमता विस्तार का काम चल रहा है। कुछ की क्षमता दोगुनी हो रही है। नई रिफाइनरी लगाने पर भी विचार हो रहा है।
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