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देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है हमारे फैसलों का असर: सीबीडीटी चेयरमैन

सरकार ने पिछले सप्ताह उनकी नियुक्त के आदेश जारी किए थे। विभाग के अधिकारियों को लिखे पत्र में रवि अग्रवाल ने कहा कि हमें मिलकर एक ऐसा पेशेवर विभाग बनाना चाहिए जो जांच की बारिकियों से अच्छी तरह से वाकिफ हो करदाताओं की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हो टेक्नोलॉजी के प्रति दक्ष हो और करदाताओं के प्रति हमारे दृष्टिकोण से अवगत हो।

By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Tue, 02 Jul 2024 09:57 PM (IST)
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विभाग के अधिकारियों को लिखे पत्र में अग्रवाल ने कहा कि हमें मिलकर एक ऐसा पेशेवर विभाग बनाना चाहिए
पीटीआई, नई दिल्ली। सीबीडीटी के नवनियुक्त चेयरमैन रवि अग्रवाल ने आयकर विभाग के अधिकारियों से कहा कि उनके द्वारा लिए गए फैसलों का असर देश की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर पड़ता है। उन्होंने अधिकारियों से 100 दिन की कार्ययोजना बनाने को कहा है। 59 वर्षीय अग्रवाल ने सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय में प्रत्यक्ष कर विभाग के प्रशासनिक निकाय के प्रमुख का पदभार संभाला।

सरकार ने पिछले सप्ताह उनकी नियुक्त के आदेश जारी किए थे। विभाग के अधिकारियों को लिखे पत्र में अग्रवाल ने कहा कि हमें मिलकर एक ऐसा पेशेवर विभाग बनाना चाहिए जो जांच की बारिकियों से अच्छी तरह से वाकिफ हो, करदाताओं की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हो, प्रौद्योगिकी के प्रति दक्ष हो और करदाताओं के प्रति हमारे दृष्टिकोण से अवगत हो। उन्होंने विभाग को दिए संदेश में कहा, मैं आप सभी से अपने-अपने कार्यक्षेत्रों और प्रभारों के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजनाएं बनाने का आग्रह करता हूँ।

मैं आपके द्वारा तैयार की गई कार्ययोजनाओं के बारे में संबंधित टीमों के साथ चर्चा करने की सराहना करूंगा। अग्रवाल ने कहा कि वित्तीय लेन-देन की जटिलताएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं, जबकि नए व्यावसायिक अभ्यास और वित्तीय लेन-देन की प्रकृति विकसित हो रही है। हम करदाताओं की एक विस्तृत श्रृंखला को संबोधित करते हैं, जिसमें नए व्यक्तिगत करदाता से लेकर दुनिया भर में संचालन करने वाले संगठन शामिल हैं। उन्होंने लिखा, हमें व्यवसायों और वित्तीय लेन-देन में नवीनतम रुझानों को समझने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए ताकि हम पेशेवर ²ष्टिकोण के साथ संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में सक्षम हों।

सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि आयकर विभाग के अधिकारियों को एक ओर वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हितधारकों के साथ होना चाहिए और दूसरी ओर हमारी प्रक्रियाओं में उनका विश्वास बनाना चाहिए।

हमें अपनी प्रक्रियाओं में अधिक प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी प्रक्रियाएँ कुशल, निष्पक्ष और पारदर्शी हों, जिससे करदाताओं के बीच विश्वास और आत्मविश्वास बढ़े। उन्होंने कहा, आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने से हमें परिचालन को सुव्यवस्थित करने, अक्षमताओं को कम करने और करदाताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में मदद मिली है।

अग्रवाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी-संचालित प्रक्रियाओं, सरकारी प्रक्रिया पुनर्रचना और हितधारक जुड़ाव के माध्यम से प्राप्त की गई उपलब्धियों पर हमें यह पहचानना चाहिए कि अभी भी कई क्षेत्र हैंजिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सीबीडीटी और कर विभाग आठ करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने वालों और लगभग 34 लाख कटौतीकर्ताओं के मुद्दों को हल करने के लिए कुशल प्रक्रियाएं लागू करने के लिए हैं।

अध्यक्ष ने कहा कि विभाग के अधिकारियों का सामूहिक प्रयास उत्कृष्टता प्राप्त करने और राष्ट्र के आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने के लिए आवश्यक है। अग्रवाल ने लिखा जब हम एक साथ इस यात्रा पर निकल रहे हैं, तो आइए हम व्यावसायिकता, ईमानदारी और सेवा के उच्चतम मानकों के प्रति प्रतिबद्ध रहें। उन्होंने कर अधिकारियों से अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों और व्यक्तिगत भलाई के बीच स्वस्थ संतुल सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया क्योंकि उनके पास वाले पेशेवर कर्तव्य हैं।

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