Pakistan sell govt companies : खस्ताहाल हुई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, सभी सरकारी कंपनियां बेचकर चलाएगा खर्च
पाकिस्तान सरकार ने अपनी रणनीतिक संस्थाओं को छोड़कर सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है। पाकिस्तान इस वक्त भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने उसके कर्ज चुकाने की क्षमता पर गंभीर संदेह जताया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कहना है कि सरकारी कंपनियों को बेचने से टैक्सपेयर का बोझ कम होगा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान सरकार ने अपनी रणनीतिक संस्थाओं को छोड़कर सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है। पाकिस्तान इस वक्त भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने उसके कर्ज चुकाने की क्षमता पर गंभीर संदेह जताया है।
सरकारी कंपनियां क्यों बेच रहा पाक?
पाकिस्तान ने पहले अपनी डांवाडोल अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सिर्फ घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया था। लेकिन, अब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कहना है कि सरकार ने अपनी योजना का विस्तार किया है और अब वह रणनीतिक संस्थाओं को छोड़कर सभी सरकारी कंपनियों को बेचेगी।
पाकिस्तान सरकार ने सरकारी संस्थाओं का 2024 से 2029 तक निजीकरण करने का रोडमैप बनाया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में निजीकरण की प्रक्रिया की समीक्षा हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी करके बताया कि सभी सरकारी कंपनियों को बेचा जाएगा, चाहे वे घाटे में हों या फायदे में।
शरीफ ने कहा कि सरकारी कंपनियों को बेचने से टैक्सपेयर का पैसा बचेगा और उन पर कम बोझ पड़ेगा। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि किन रणनीतिक और गैर-रणनीतिक माना जाएगा।
क्या यह IMF का दबाव है?
IMF की मिशन टीम पाकिस्तान को लॉन्ग टर्म फंड की योजना पर चर्चा के लिए इस्लामाबाद आई हुई है। उससे चर्चा के एक दिन बाद पाकिस्तान सरकार ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण का एलान किया है। IMF काफी लंबे से पाकिस्तान सरकार को घाटे वाली सरकारी कंपनियों का निजीकरण करने की सलाह दे रहा था, जो लगातार राजकोषीय कमी और बाहरी कर्ज से जूझ रहा है।
पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार भी बस कुछ महीनों की जरूरत पूरा करने भर का है। IMF का कहना है कि पाकिस्तान में सरकारी कंपनियों के पास अधिकांश मध्य पूर्व देशों की तुलना में बड़ी संपत्ति है। यह 2019 में जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 44 प्रतिशत थी। फिर भी रोजगार पैदा करने के मामले में उनकी हिस्सेदारी काफी कम है। IMF का अनुमान है कि 2019 तकरीबन आधी सरकारी कंपनियां घाटे में चल रही थीं।