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ADB Report: कोरोना महामारी ने गरीबी के खिलाफ लड़ाई को 2 साल पीछे धकेला, एशिया में गहराया मंदी का खतरा

ADB Report अपनी ताजा रिपोर्ट में एडीबी ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विकास पर चिंता जताते हुए कहा है कि कोरोना के कारण गरीबी में बढ़ोतरी हुई है। एडीबी ने एशियाई देशों में मंदी की आशंका से भी इनकार नहीं किया है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Wed, 24 Aug 2022 07:01 PM (IST)
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Pandemic pushes back Asia Pacific fight against extreme poverty by 2 years says ADB
नई दिल्ली, बिजनस डेस्क। अगर कोरोना महामारी का प्रसार नहीं हुआ होता तो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में गरीबी कम करने के लक्ष्य को 2020 में ही हासिल किया जा सकता था। एशियाई विकास बैंक (ADB) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि COVID-19 महामारी ने एशिया और प्रशांत क्षेत्र में गरीबी के खिलाफ लड़ाई को कम से कम दो साल पीछे धकेल दिया है। एडीबी के कुल 68 सदस्य हैं, जिनमें से 49 एशिया प्रशांत क्षेत्र से हैं।

अपनी रिपोर्ट में एडीबी (Asian Development Bank) ने कहा है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में रहने वाले तमाम लोगों के लिए गरीबी से बाहर निकलना पहले की तुलना में बहुत कठिन होगा। बैंक का मानना है कि इस वर्ष एशिया प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में कमी आ सकती है। 1.90 अमेरिकी डालर प्रतिदिन (गरीबी के आंकलन का मानक स्तर) में गुजर-बसर करने का जो स्तर 2020 में हासिल किया जा सकता था, उसे अब तक नहीं पाया जा सका है।

क्या कहती है एडीबी की रिपोर्ट

डेटा सिमुलेशन का हवाला देते हुए एडीबी ने कहा कि सामाजिक गतिशीलता की बात करें तो फिलहाल लंबे समय तक तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कोरोना ने गरीबी के खिलाफ लड़ाई को मुश्किल बना दिया है और अर्थव्यवस्थाओं में सुधार के बावजूद प्रगति असमान बनी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी ने गरीबी के तमाम रूपों को और भी विकृत कर दिया है। खाद्य असुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा तक अपर्याप्त पहुंच ने इस लड़ाई को और भी मुश्किल बना दिया है। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री अल्बर्ट पार्क ने कहा, "गरीबों और कमजोर लोगों को COVID-19 से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। अब दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार हो रहा है, इसके बावजूद भी कई लोगों को लग सकता है कि गरीबी से बाहर निकलना पहले से भी ज्यादा मुश्किल है।" पार्क ने कहा कि सभी को समान आर्थिक अवसर मिलें और सामाजिक गतिशीलता अच्छी बने रहे, इसके लिए इस क्षेत्र की सरकारों को लचीलेपन, नवाचार और समावेशिता पर ध्यान देना चाहिए।

मंदी की आशंका से इनकार नहीं

एशिया प्रशांत क्षेत्र में अत्यधिक गरीबी का प्रसार 2030 तक 1 प्रतिशत से नीचे आने की उम्मीद है, जबकि लगभग 25 प्रतिशत आबादी कम से कम मध्यम वर्ग की स्थिति तक पहुंच सकती है। इसका मतलब यह होगा कि कम से कम उनकी आय 15 अमरीकी डालर प्रतिदिन हो सकती है। हालांकि, एडीबी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि यह कोई सार्वभौम तथ्य नहीं है और इसे सामाजिक गतिशीलता में अंतर के साथ-साथ अन्य अनिश्चितताओं से भी खतरा है। बैंक का कहना है कि एशिया में मुद्रास्फीति से होने वाली मंदी की आशंका प्रबल है। प्रमुख वैश्विक ताकतों के बीच जारी संघर्ष, खाद्य असुरक्षा में वृद्धि और ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी होने से मंदी का खतरा लगातार बना हुआ है।