Trend and Progress of Banking 2023: IBC का परफॉरमेंस सुधरा लेकिन DRT की नाकामी जारी; RBI ने जारी की रिपोर्ट
NPA के मोर्चे पर आरबीआइ अनिश्चित वैश्विक हालात की वजह से चिंतित है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वर्ष 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर ज्यादा चुनौतियां पैदा होने की संभावना है। इससे कर्ज वितरण की रफ्तार कम हो सकती है और बैंकों की परिसंपत्तियों की स्थिति भी बिगड़ सकती है। आइए पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिवालिया कानून के तेवर दिखाई देने लगे हैं। बैंकों के फंसे कर्जे की वसूली के लिए वर्ष 2016 से लागू इंसोल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी-दिवालिया कानून) से वर्ष 2022-23 में जितनी कर्ज की राशि संलिप्त थी उसमें से 40.3 फीसद हिस्सा हासिल हुआ है।
रिपोर्ट में हुए ये खुलासे
इसके पिछले वित्त वर्ष आइबीसी के जरिए 27.6 फीसद कर्ज की राशि वसूला गया था और कई विशेषज्ञों ने इसकी पूरी प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाये थे। बुधवार (27 दिसंबर, 2023) को आरबीआइ की तरफ से जारी “ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया, 2022-23 रिपोर्ट'' के मुताबिक गत वर्ष आइबीसी के तहत 1261 मामलों का निपटान हुआ है।
इनमें विभिन्न बैंकों के 1,33,930 करोड़ रुपये की राशि संलिप्त थी, जिसमें से 53,963 करोड़ रुपये की राशि की वसूली हुई है। प्रतिभूति कानून के जरिए भी एनपीए वसूली का स्तर इस दौरान 22.5 फीसद से बढ़ कर 27.6 फीसद हो गया है। संभवत: ये भी वजह रही है कि इस वर्ष बैंकों के कुल फंसे कर्जे (एनपीए) का स्तर (अग्रिम के मुकाबले) 5.8 फीसद से घट कर 3.9 फीसद और शुद्ध एनपीए का स्तर 1.7 फीसद से घट कर 0.9 फीसद पर आ गया है। यह पिछले एक दशक का सबसे न्यूनतम एनपीए का स्तर है।
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फंसे कर्जे की हुई इतनी वसूली
अगर फंसे कर्जे के वसूली की सभी व्यवस्थाओं की बात करें तो आइबीसी के प्रदर्शन में बेहतर सुधार होने का मतलब यह नहीं है कि यहां सभी कुछ ठीक चल रहा है। समग्र तौर पर देखा जाए तो वर्ष 2022-23 में कर्ज वसूली के चारों तंत्र (लोक अदालतों, ऋण वसूली प्राधिकरणों, प्रतिभूति कानून और आइबीसी) से बैंकों ने अपने फंसे कर्जे (8,36,858 करोड़ रुपये) से 1,25,587 करोड़ रुपये यानी सिर्फ 15 फीसद वसूलने में सफलता हासिल की है।जबकि वर्ष 2021-22 में कुल फंसे कर्जे का 17.6 फीसद वसूलने में सफल रहे थे। इसका एक बड़ा कारण यह है कि ऋण वसूली प्राधिकरणों (डीआरटी) का प्रदर्शन इस दौरान बहुत ही खराब हो गया है। जबकि इनके पास चार लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के एनपीए के 58 हजार मामले दर्ज हैं।एनपीए के मोर्चे पर आरबीआइ अनिश्चित वैश्विक हालात की वजह से चिंतित है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वर्ष 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर ज्यादा चुनौतियां पैदा होने की संभावना है। इससे कर्ज वितरण की रफ्तार कम हो सकती है और बैंकों की परिसंपत्तियों की स्थिति भी बिगड़ सकती है।
इस अनिश्चितता को देखते हुए बैंकों को ज्यादा सतर्कता बरतने की जरुरत है। महंगाई के बारे में आरबीआइ का मानना है कि यह लगातार निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा है इस वजह से लंबे समय तक रेपो रेट के मौजूदा स्तर पर ही बने रहने की संभावना है।