Move to Jagran APP

श्रीलंका और बांग्लादेश के अलावा कई देश चाहते हैं स्थानीय मुद्रा से हो लेन-देन: पीयूष गोयल

भारत वैश्विक स्तर पर रुपया को पहचान बनाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। भारत कई विदेशी व्यापार के लिए रुपये की जगह डॉलर का इस्तेमाल करता है। हालांकि पहली बार संयुक्त अरब अमीरात के साथ स्थानीय मुद्रा में लेन-देन किया है। इस लेन-देन को लेकर पीयूष गोयल ने कहा कि बांग्लादेश श्रीलंका और कई देश भारत के साथ रुपये का व्यापार शुरू करना चाहते हैं।

By Agency Edited By: Priyanka Kumari Updated: Mon, 11 Mar 2024 01:32 PM (IST)
Hero Image
कई देश चाहते हैं स्थानीय मुद्रा से हो लेन-देन
 पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय करेंसी धीरे-धीरे मजबूत हो रही है। इसको लेकर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बांग्लादेश, श्रीलंका और खाड़ी क्षेत्र के देशों सहित कई विकसित और विकासशील देश भारत के साथ रुपये में व्यापार शुरू करने के इच्छुक हैं।

अगर भारतीय करेंसी में व्यापार शुरू होता है तो यह लेनदेन में लगने वाली लागत में कटौती को कम करने में मदद करता है।

पीयुष गोयल ने कहा कि मुझे विश्वास है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए "बहुत गेम-चेंजिंग" आयाम होने जा रहा है। दरअसल, घरेलू मुद्रा में व्यापार करना काफी फायदेमंद होता है।

पीयूष गोयल कहते हैं कि

बांग्लादेश, श्रीलंका पहले से ही हमसे बात कर रहे हैं और वे चाहते हैं कि हम तुरंत रुपये में कारोबार शुरू करें। खाड़ी क्षेत्र के अन्य देश इस पर विचार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि लोगों को लाभ देखने में कुछ समय लगेगा। अधिक से अधिक विकसित देश और सुदूर पूर्व के देश भी इसमें शामिल हो रहे हैं। सिंगापुर पहले से ही कुछ हद तक इसमें शामिल है।

वह आगे कहते हैं कि कई देश इस व्यवस्था के लिए आगे आए हैं और इसके लिए भारत से बात कर रहे हैं क्योंकि वे भी अपनी स्थानीय मुद्रा और रुपये के बीच सीधा लेनदेन शुरू करना चाह रहे हैं।

गोयल ने पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि 'धीरे-धीरे यह समझ आ रही है कि सभी लेन-देन को तीसरी मुद्रा में बदलने के बजाय, दोनों तरीकों से लेन-देन की लागत में काफी वृद्धि होती है।

बता दें कि जब कोई लोन-देन तीसकी मुद्रा के साथ होता है तब उसमें लेन-देन की लागत लगती है। वहीं अगर यह लेन-देन स्थानीय मुद्रा में होती है तो लेन-देन लागत नहीं लगती है।

पीयूष गोयल ने बताया कि

स्थानीय मुद्रा से लेन-देन संयुक्त अरब अमीरात से शुरु हुआ। संयुक्त अरब अमीरात पहला देश है जिसने भारतीय करेंसी से लेन-देन को स्वीकार किया है। अब यह जोर पकड़ रहा है।

गोयल ने कहा, "यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समय लगता है। इसमें ढांचा तैयार करने के लिए दोनों देशों के केंद्रीय बैंकरों को शामिल किया जाता है और फिर इसे आयातकों और निर्यातकों द्वारा स्वीकृति दी जाती है।"

यह जुड़ाव इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि भारतीय रुपया ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के मुकाबले स्थिर है और विशेषज्ञों के मुताबिक, यही एक कारण है कि आज विभिन्न देश रुपये के व्यापार पर आधारित व्यापार संबंध बनाना चाहते हैं। रुपये के व्यापार से उन कई देशों को भी मदद मिल रही है, जिनके पास डॉलर की कमी है।

इन देशों में होती है रुपये से लेनदेन

भारत ने नेपाल और भूटान समेत पड़ोसी देशों के साथ रुपये में व्यापार शुरू कर दिया है। रूस के साथ राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए रुपया व्यापार तंत्र शुरू किया गया है, जबकि श्रीलंका ने रुपये को अपनी नामित विदेशी मुद्राओं की सूची में शामिल किया है।

भारत द्वारा खरीदे गए कच्चे तेल के लिए रुपये में पहली बार भुगतान संयुक्त अरब अमीरात से किया गया था और इससे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े एनर्जी उपभोक्ता को स्थानीय मुद्रा को वैश्विक स्तर पर ले जाने में मदद मिल रही है, क्योंकि यह अन्य आपूर्तिकर्ताओं के साथ इसी तरह के सौदों की तलाश में है।

INR को वैश्विक मुद्रा बनाने के उद्देश्य से भारतीय रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान की अनुमति देने के लिए FTP (विदेश व्यापार नीति) में बदलाव किए गए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जुलाई 2022 में रुपये में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के निपटान की अनुमति देने का निर्णय लिया।

एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और यूको बैंक सहित कई बैंकों ने रुपये में विदेशी व्यापार की सुविधा के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं और कई देशों ने स्थानीय मुद्रा व्यापार के लिए इस व्यवस्था में रुचि व्यक्त की है।