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पीयूष गोयल ने किया स्पष्ट, हम ऑनलाइन कारोबार के खिलाफ नहीं, लेकिन समान प्रतिस्पर्धा की जरूरत

ई-कॉमर्स कंपनियों को खुदरा कारोबारियों के लिए खतरा बताने के बाद गुरुवार को वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सफाई दी है। उन्होंने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम ऑनलाइन कारोबार के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ई-कॉमर्स से ग्राहकों को आसानी से सामान मिल जाता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऑनलाइन कारोबार को निष्पक्ष और ईमानदार होने की जरूरत है।

By Jagran News Edited By: Subhash Gariya Updated: Thu, 22 Aug 2024 08:34 PM (IST)
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पीयूष गोयल ने E-commerce कंपनियों के कामकाज पर जताई थी चिंता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गत बुधवार को एक कार्यक्रम में ई-कॉमर्स कंपनी को घरेलू खुदरा कारोबारियों के लिए खतरा बताने के बाद वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को स्पष्टीकरण दिया। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वह ऑनलाइन कारोबार के खिलाफ नहीं है। ऑनलाइन कारोबार को निष्पक्ष और ईमानदार होने की जरूरत है।

निष्‍पक्ष और ईमानदार रहें ऑनलाइन कारोबार

उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स के कई फायदे हैं। इससे ग्राहकों को आसानी से कम समय में सामान मिल जाता है और सरकार चाहती है कि ई-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियां देश के लोगों की सेवा करें। गोयल ने कहा कि हमलोग इस बात को लेकर साफ मत रखते हैं कि हम देश में विदेशी निवेश को आमंत्रित करना चाहते हैं, हम देश में टेक्नोलॉजी को लाना चाहते हैं, हम दुनिया का सर्वोत्तम अपने देश में लाना चाहते हैं और हम ऑनलाइन कारोबार के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हम यह चाहते हैं कि ऑनलाइन कारोबार ग्राहक, सामान व सेवा सप्लाई करने वालों के साथ निष्पक्ष और ईमानदार रहे। ताकि अन्य कारोबारी भी ऑनलाइन कारोबार के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।

बुधवार को ई-कॉमर्स का रोजगार पर प्रभाव की रिपोर्ट जारी करने के लिए पहल इंडिया की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में गोयल ने कहा था कि ई-कॉमर्स कंपनियों से हमें सतर्क रहने की जरूरत है और ये कंपनियां छोटे खुदरा व्यापारियों का मार्जिन खा रही है।

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पांच साल से ई-कॉमर्स नीति का इंतजार

देश के खुदरा व्यापार में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत होने जा रही है, लेकिन अब तक ई-कॉमर्स को लेकर कोई नीति तैयार नहीं हो पाई है। ई-कॉमर्स कंपनियों की तरफ से बिग बिलियन सेल और सस्ते दाम पर सामान बेचने का पिछले कई सालों से खुदरा व्यापारियों की तरफ से विरोध किया जा रहा है। उनकी मांग है कि इस प्रकार की बिक्री पर रोक लगनी चाहिए। लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी पर रोक तभी संभव है जब इसे लेकर कोई नियम होगा।

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सात-आठ साल पहले उपभोक्ताओं के साथ भी सामान पहुंचाने के नाम पर ई-कॉमर्स कंपनियों की धोखाधड़ी के काफी मामले सामने आ रहे थे। तब उद्योग विभाग का मत था कि ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगाम के लिए उपभोक्ता मंत्रालय को नीति बनाने की जरूरत है। हालांकि खुदरा व्यापारियों की मांग पर उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की तरफ से पांच साल पहले नीति बनाने की पहल की गई। हालांकि अब यह कहा जा रहा है कि नीति तैयार है और जल्द ही इसकी घोषणा की जा सकती है।