यूक्रेन युद्ध से ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुई, इसका भारत के निर्यात पर कैसा रहेगा असर?
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुई। विश्व व्यापार में सुस्ती और अनिश्चितता का दौर है। इसके बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत का वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात पिछले साल के समान स्तर पर रहेगा। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का वस्तु और सेवा निर्यात 776 अरब डॉलर था। आइए जानते हैं पूरी खबर।
पीटीआई, नई दिल्ली। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भरोसा जताया कि वैश्विक व्यापार में मंदी और अनिश्चितताओं के बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत का वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात पिछले साल के समान स्तर पर रहेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसी उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं को लागू कर रही है, जिनका जोर उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं पर है। ऐसा करने से देश के व्यापार घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसलिए हमारा व्यापार घाटा पिछले साल की तुलना में काफी कम रहेगा। गोयल ने एक साक्षात्कार में बताया, मुझे आपको यह बताते हुए खुशी है कि हम चालू वित्त वर्ष में मार्च के अंत तक पिछले साल के समान स्तर पर होंगे। हमारी वस्तुओं और सेवाओं के बीच कुछ समायोजन हो सकता है, लेकिन दोनों को मिलाकर हम पिछले साल के समान स्तर पर होंगे।
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान भारत का वस्तु निर्यात 4.89 प्रतिशत घटकर 353.92 अरब डालर था। इन दस महीने में सेवा निर्यात का अनुमानित मूल्य 84.45 अरब डालर था।
पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का वस्तु और सेवा निर्यात 776 अरब डॉलर था। रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही इजरायल-हमास संघर्ष के चलते सप्लाई चेन प्रभावित हुई हैं। लाल सागर संकट के कारण परिवहन लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार संकट से निपटने के लिए किसी प्रकार के समर्थन उपायों को बढ़ाने के बारे में सोच रही है, तो उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग वास्तव में ऐसा नहीं चाहता है कि सभी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार पर निर्भर रहा जाए। उन्होंने कहा कि सरकार सेना और नौसेना के जरिये लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम कर रही है।यह भी पढ़ें : Farmers Income : किसानों की आय दोगुनी हुई या नहीं, यह पता लगाना मुश्किल क्यों, नीति आयोग ने बताई वजह