बार-बार सड़क खुदाई से मिलेगी राहत, जिला स्तर इन्फ्रा प्लानिंग में होगा पीएम गतिशक्ति का इस्तेमाल
अभी बिजली जल संचार जैसे विभिन्न विभाग अपने-अपने काम के लिए एक ही सड़क की बार-बार खुदाई करते हैं। लेकिन पीएम गतिशक्ति के इस्तेमाल से इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। यह एक अति विकसित भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) से लैस प्लेटफार्म है। इससे केंद्र सरकार के सभी विभाग और राज्य जुड़े हैं। पीएम गतिशक्ति प्लेटफार्म पर 500 करोड़ से अधिक मूल्य की सड़क पोर्ट रेल जैसे प्रोजेक्ट का मूल्यांकन होता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीन साल पहले 13 अक्टूबर को शुरू पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान (एनएमपी) को अब अगले चरण में ले जाने की शुरुआत हो चुकी है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की पहल पर अब पीएम गतिशक्ति का जिला स्तर इस्तेमाल किया जाएगा। इसलिए पीएम गतिशक्ति डिस्टि्रक्ट मास्टर प्लान पोर्टल (डीएमपी) तैयार किया जा रहा है।
इसका फायदा यह होगा कि उस जिले में अलग-अलग विभाग अपनी सुविधा बहाल करने के लिए बार-बार खुदाई नहीं करेंगे। सभी विभाग की तरफ से एक साथ मिलकर डीएमपी पोर्टल पर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना तैयार करने से निर्माण में बाधा नहीं आएगी। इससे समय और लागत दोनों में कमी आ जाएगी।
अभी बिजली, जल, संचार जैसे विभिन्न विभाग अपने-अपने काम के लिए एक ही सड़क की बार-बार खुदाई करते हैं। वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के दौरान कई बार विभागों में सामंजस्य और भौगोलिक जानकारी के अभाव में समय और पैसा दोनों ही अधिक लग जाता है और कई बार कई परियोजना फंस जाती है।
डीपीआईआईटी सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने शनिवार को बताया कि सभी राज्यों के एक-एक जिले में पीएम गतिशक्ति के इस्तेमाल को लेकर जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इस काम के लिए राज्यों के साथ समझौता किया गया है। इससे जिला और नगर पंचायत में काफी बदलाव आएगा।
पीएम गतिशक्ति एक अति विकसित भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) से लैस प्लेटफार्म है जिससे केंद्र सरकार के सभी विभाग और राज्य जुड़े हैं। पीएम गतिशक्ति प्लेटफार्म पर 500 करोड़ से अधिक मूल्य की सड़क, पोर्ट, रेल जैसी विभिन्न इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का मूल्यांकन किया जाता है।
इस पोर्टल पर फिजिकल पड़ताल से पहले ही पता चल जाता है कि परियोजना के रास्ते में कितने जंगल, रिहायशी, औद्योगिक इलाके होंगे और क्या-क्या बाधाएं आएंगी। उस हिसाब से पहले ही उन दिक्कतों को ध्यान में रखकर परियोजनाएं तैयार की जाती है।हाल ही में पीएम गतिशक्ति के एनएमपी के तहत पुणे-बेंगलुरु एक्सप्रेस-वे की समीक्षा की गई और इसका फायदा यह हुआ कि इस एक्सप्रेस वे की दूरी 841 किलोमीटर से घटकर 787 किलोमीटर हो गई। गतिशक्ति पोर्टल पर पिछले तीन सालों में 15.39 लाख करोड़ मूल्य की 208 इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन किया जा चुका है।
भाटिया ने बताया कि पीएम गतिशक्ति का इस्तेमाल राज्यों में उपलब्ध जमीन का डेटा जुटाने में भी किया जा रहा है। निजी सेक्टर भी औद्योगिक विकास और कारोबार को आसान बनाने के लिए सीमित रूप से इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि श्रीलंका और बांग्लादेश ने भी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में पीएम गतिशक्ति के इस्तेमाल के लिए भारत के साथ समझौता किया है।यह भी पढ़ें : Jal Jeevan Mission दिला रहा पेयजल संकट से छुटकारा, 16 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंचा स्वच्छ पानी