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क्या है PM PRANAM योजना? किसानों को कैसे होगा फायदा; अगले तीन साल में 3.70 लाख करोड़ खर्च करेगी केंद्र सरकार

PM PRANAM Yojana केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी स्कीम है। इसका उद्देश्य सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम करने के साथ खेती में रासायनिक उर्वरकों की जगह वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देना है। इसमें सरकार जैविक खेती से पैदा होने उत्पादों की मार्केटिंग पर भी जोर देगी जिससे किसानों को इसका सीधा फायदा मिल सके। आइए जानते हैं विस्तार से...

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Thu, 29 Jun 2023 08:00 PM (IST)
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इसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को कम करना है। (फोटो - जागरण ग्राफिक्स)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। PM Pranam Yojana केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में पीएम प्रणाम योजना (PM Pranam Yojana) को मंजूरी दी गई है। इस योजना के जरिए सरकार की कोशिश किसानों को रासायनिक उर्वरकों की जगह वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके लिए सरकार अगले तीन सालों में 3 लाख 70 हजार करोड़ रुपये खर्च करने वाली है।

PM Pranam Yojana का उद्देश्य

पीएम प्रणाम योजना का उद्देश्य देश में रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को कम करके वैकल्पिक उवर्रकों को खेती में बढ़ावा देना है। इससे सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम होगा और खेती में अन्य उर्वरकों के इस्तेमाल से खेती की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इससे किसानों को भी फायदा होगा, क्योंकि इससे खेती की लागत कम हो सकती है। 

पीएम प्रणाम योजना को लेकर कैबिनेट मंत्री डॉ.मनसुख मांडविया ने बयान देते हुए कहा था कि जो राज्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करेंगे, केंद्र सरकार की ओर से उन्हें सहायता दी जाएगी।

नैनो यूरिया और सल्फर कोटेड यूरिया के इस्तेमला पर जोर

सरकार की कोशिश इस योजना के जरिए नैनो यूरिया और सल्फर कोटेड यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य ये जैविक खेती से मिलने वाले प्रोडक्ट की मार्केटिंग पर भी सरकार की ओर से जोर दिया जाएगा।

बजट में हुआ था एलान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बजट 2023 पेश करते हुए खेती में वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के कम इस्तेमाल पर जोर देने की बात कही गई थी।

कम होगा सब्सिडी का बोझ

वित्त वर्ष 2022-23 में रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी 2.25 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंचने के अनुमान है। ये 2021-22 में खर्च हुई राशि से 39 प्रतिशत अधिक है।