PNG-CNG: गैस के बढ़ते दामों को लेकर बड़े कदम उठाने की तैयारी, सस्ती हो सकती है पीएनजी-सीएनजी
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली प्राकृतिक गैस पर पांच साल के लिए मूल्य सीमा लागू की जा सकती है। किरीट पारेख की अगुआई में नियुक्त गैस मूल्य समीक्षा समिति ने इसकी सिफारिश की है।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Tue, 29 Nov 2022 08:25 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली प्राकृतिक गैस पर पांच साल के लिए मूल्य सीमा लागू की जा सकती है। किरीट पारेख की अगुआई में नियुक्त गैस मूल्य समीक्षा समिति ने इसकी सिफारिश की है। सीएनजी और पाइपलाइन से आने वाली रसोई गैस यानी पीएनजी की कीमतों में नरमी लाने के लिए ऐसा किया जाएगा।
सस्ती हो सकती है पीएनजी-सीएनजी
आयल एंड नैचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) और आयल इंडिया लिमिटेड (ओआइएल) को चार डालर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (प्रति इकाई) के न्यूनतम मूल्य और 8.57 डालर की मौजूदा दर के मुकाबले अब अधिकतम 6.5 डालर का भुगतान किया जाएगा। हालांकि, मुश्किल क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के लिए मूल्य निर्धारण फार्मूले को बदला नहीं जाएगा। मूल्य निर्धारण की यह व्यवस्था रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के केजी-डी6 क्षेत्र और ब्रिटेन की इसकी भागीदार बीपी पीएलसी के मुश्किल क्षेत्रों पर लागू होती है।
पांच साल के लिए तय हो सकती है गैस के दाम
बता दें कि फ्लोर और सीलिंग प्राइस पांच साल के लिए लागू होगा, हालांकि शुरुआती विचार इसे तीन साल तक रखने के लिए था, उन्होंने कहा कि सीलिंग प्राइस को जोड़ने से सालाना एस्केलेशन क्लाज होगा। वृद्धि का सुझाव दिया जा रहा है कि पहले दो वर्षों के लिए कोई परिवर्तन मूल्य निर्धारण के साथ सालाना 0.5 अमेरिकी डालर प्रति एमएमबीटीयू या पांच वर्षों के लिए 0.25 अमेरिकी डालर प्रति एमएमबीटीयू वार्षिक वृद्धि है।सिटी गैस को दी जाएगी प्राथमिकता
बता दें कि लीगेसी क्षेत्रों से गैस शहर के गैस वितरकों को बेची जाती है, जिन्हें सीएनजी और पाइप्ड कुकिंग गैस की दरों में 70 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी करनी पड़ी, जब कीमतें मार्च तक 2.90 अमेरिकी डालर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट से बढ़कर अप्रैल में 6.10 अमेरिकी डालर और आगे बढ़कर 8.57 अमेरिकी डालर हो गईं। सूत्रों ने कहा कि इनमें सिटी गैस को प्राथमिकता दी गई है, जो एपीएम गैस के नाम से भी जाना जाता है। इस सेक्टर को नो कट श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब हुआ कि अगर कभी उत्पादन पर असर पड़ता है तो इस श्रेणी के उपभोक्ताओं को गैस सप्लाई होती रहेगी।
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