बिजली संयंत्रों के पास 19 दिनों का कोयला, पिछले वर्ष के मुकाबले 30 फीसद ज्यादा
अभी मई माह में ही बिजली की रिकार्ड खपत 2.50 लाख मेगावाट हो चुकी है। वैसे मानसून का आगमन हो चुका है और इससे बिजली की मांग भी कम होने की संभावना है। साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि मानसून में कोयले की आपूर्ति भी प्रभावित होती है। कोयला मंत्रालय ने बताया है कि मई माह में कोयला की आपूर्ति बढ़ाने की भरसक कोशिश की गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश भर में पड़ रही भयंकर गर्मी के बीच ताप बिजली संयंत्रों को लगातार काम करना पड़ रहा है। ऐसे में एक अच्छी खबर यह आई है कि इन बिजली संयंत्रों के पास अभी 45 लाख टन कोयला है जो उनकी 19 दिनों के जरूरत के लिए पर्याप्त है। यह कोयला स्टॉक पिछले वर्ष के मुकाबले 30 फीसद ज्यादा है। पिछले वर्ष देश में बिजली की अधिकतम खपत 2.46 लाख मेगावाट हुई थी।
बिजली खपत कम होने की उम्मीद
लेकिन यह मांग सितंबर, 2023 में देखी गई थी। अभी मई माह में ही बिजली की रिकार्ड खपत 2.50 लाख मेगावाट हो चुकी है। वैसे मानसून का आगमन हो चुका है और इससे बिजली की मांग भी कम होने की संभावना है। साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि मानसून में कोयले की आपूर्ति भी प्रभावित होती है।
कोयला मंत्रालय ने बताया है कि मई माह में कोयला की आपूर्ति बढ़ाने की भरसक कोशिश की गई है। ऐसे में बिजली की मांग बढ़ने के बावजूद रोजाना कोयले का औसतन स्टॉक सिर्फ 10 हजार टन ही कम हुआ है।
8 फीसदी ज्यादा हुआ कोयला उत्पादन
बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति पर नजर रखने व इसकी राह की अड़चनों को दूर करने के लिए कोयला मंत्रालय, बिजली मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय और बिजली संयंत्रों के अधिकारियों को मिला कर एक समिति का गठन किया गया है। इनके बीच सामंजस्य की वजह से ही इस साल कोयला का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले 8 फीसद ज्यादा हुआ है।
कोयला खदानों के पास अभी 10 करोड़ टन का स्टॉक है जो संयंत्रों को आपूर्ति किये जाने को तैयार हैं। रेल मंत्रालय ने इस साल नौ फीसद ज्यादा रेलवे रैक उपलब्ध कराया है। सरकार की तरफ से मानसून के दौरान कोयला आपूर्ति को बढ़ाने की तैयारी भी है। कोशिश यह है कि 01 जुलाई, 2024 तक बिजली संयंत्रों के पास 42 लाख टन कोयला उपलब्ध रहे।
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